Edited By Prachi Sharma,Updated: 22 Feb, 2025 12:40 PM
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एक विदेशी को अपराधी समझ राजा ने फांसी का हुक्म सुनाया। उस दोषी ने अपनी भाषा में राजा को बहुत बुरा-भला कहा और राजा के विनाश की कामना की। राजा को समझ नहीं आया।
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Inspirational Story: एक विदेशी को अपराधी समझ राजा ने फांसी का हुक्म सुनाया। उस दोषी ने अपनी भाषा में राजा को बहुत बुरा-भला कहा और राजा के विनाश की कामना की। राजा को समझ नहीं आया।
उन्होंने सभा में अपने कई भाषाओं के जानकार एक मंत्री से पूछा, “यह क्या कह रहा है ?”
मंत्री ने विदेशी की गालियां सुन ली थीं, किंतु उसने कहा, “महाराजा ! यह आपको दुआएं देते हुए कह रहा है कि आप हजार साल तक जिएं।”
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राजा यह सुनकर बहुत खुश हुआ, लेकिन एक दूसरे जानकार मंत्री ने आवाज उठाई, “महाराज ! यह आपको दुआ नहीं गालियां दे रहा है।”
दूसरे मंत्री ने पहले मंत्री की बुराई करते हुए कहा, “यह मंत्री जिन्हें आप अपना विश्वासपात्र समझते हैं, झूठ बोल रहे हैं।”
राजा ने पहले मंत्री से बात कर सच जानना चाहा, तो वह बोला, “हां महाराजा। यह सत्य है कि इस अपराधी ने आपको गालियां दीं और मैंने आपसे झूठ कहा।”
पहले मंत्री की बात सुनकर राजा ने कहा, “तुमने इसे बचाने की भावना से अपने राजा से झूठ बोला। मानव धर्म को सर्वोपरि मानकर तुमने राजधर्म को पीछे रखा। मैं तुमसे बेहद खुश हुआ हूं। तुम्हें ईनाम में सौ अशर्फियां देता हूं।”
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फिर राजा ने विदेशी की ओर देखकर कहा, “मैं तुम्हें मुक्त करता हूं। निर्दोष होने के कारण ही तुम्हें इतना क्रोध आया कि तुमने राजा को गालियां दीं।”
राजा फिर दूसरे मंत्री की तरफ मुड़े और कहा, “मंत्री महोदय तुमने सच इसलिए कहा क्योंकि तुम पहले मंत्री से ईर्ष्या रखते हो। ऐसे लोग मेरे राज्य में रहने योग्य नहीं। तुम्हें दंड देता हूं, इस राज्य से चले जाओ।”
प्रसंग का सार यह है कि दूसरों से जलने की भावना रखने वाला इंसान दूसरों की नजरों में अपनी छवि गिरा लेता है।