Edited By Sarita Thapa,Updated: 24 Feb, 2025 01:35 PM
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Inspirational Story: फारस के शासक साइरस अपनी प्रजा की भलाई में जुटे रहते थे। वह रियासत की सारी आमदनी व्यापार और खेतीबाड़ी में लगा देते थे जिस कारण शाही खजाना हल्का रहता था, लेकिन प्रजा खुशहाल थी।
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Inspirational Story: फारस के शासक साइरस अपनी प्रजा की भलाई में जुटे रहते थे। वह रियासत की सारी आमदनी व्यापार और खेतीबाड़ी में लगा देते थे जिस कारण शाही खजाना हल्का रहता था, लेकिन प्रजा खुशहाल थी। एक दिन साइरस के दोस्त और पड़ोसी शासक क्रोशियस उनके यहां आए। उन्हें प्रजा से ज्यादा अपनी खुशहाली की चिंता रहती थी।
उनका खजाना हमेशा भरा रहता था। बातों-बातों में जब क्रोशियस को साइरस के खजाने का हाल मालूम हुआ तो उन्होंने साइरस से कहा, “अगर आप इसी तरह प्रजा के लिए खजाना लुटाते रहोगे तो एक दिन वह एकदम खाली हो जाएगा। आप कंगाल हो जाओगे।”
साइरस बोले, “आप दो दिन ठहरिए मैं इस मामले में लोगों का इम्तिहान लेना चाहता हूं।” उन्होंने घोषणा करवा दी कि एक बहुत बड़े काम के लिए साइरस को दौलत की बहुत जरूरत है। उन्हें पूरी उम्मीद है कि प्रजा मदद करेगी। दो दिन पूरा होने से पहले ही शाही महल के बाहर मोहरों, सिक्कों व जेवरों का बड़ा ढेर लग गया।
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यह देख क्रोशियस हैरत में पड़ गए। साइरस ने कहा, “मैंने रियासत का खजाना लोगों की खुशहाली पर खर्च करके एक तरह से उन्हीं को सौंप दिया है। लोग उसमें इजाफा करते रहते हैं। तुम्हारा खजाना बांझ है, वह कोई बढ़ौतरी नहीं कर रहा है।” क्रोशियस से कोई जवाब देते न बना।
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