Edited By Prachi Sharma,Updated: 20 Mar, 2025 01:11 PM

एक मजदूर काम ढूंढने के लिए घर से निकला। गर्मी का मौसम था और धूप बहुत तेज थी। उसे एक व्यक्ति दिखा जिसने भारी संदूक उठा रखा था।
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Inspirational Story: एक मजदूर काम ढूंढने के लिए घर से निकला। गर्मी का मौसम था और धूप बहुत तेज थी। उसे एक व्यक्ति दिखा जिसने भारी संदूक उठा रखा था।
उसने उस व्यक्ति से पूछा,“क्या आपको मजदूर चाहिए ?”

उस व्यक्ति को मजदूर की आवश्यकता भी थी, इसलिए उसने संदूक मजदूर को उठाने के लिए दे दिया।
मजदूर संदूक को कंधे पर रख कर चलने लगा। गरीबी के कारण उसके पैरों में जूते नहीं थे। सड़क की जलन से बचने के लिए कभी-कभी वह किसी पेड़ की छाया में थोड़ी देर खड़ा हो जाता था।
पैर जलने से वह मन ही मन झुंझला उठा और उस व्यक्ति से बोला, “ईश्वर का कैसा न्याय है ?
हम गरीबों को जूते पहनने लायक पैसे भी नहीं दिए।” मजदूर की बात सुनकर व्यक्ति खामोश रहा।

दोनों थोड़ा आगे बढ़े ही थे कि तभी उन्हें एक ऐसा व्यक्ति दिखा जिसके पैर नहीं थे और वह जमीन पर घिसटते हुए चल रहा था।
यह देखकर वह व्यक्ति मजदूर से बोला, “तुम्हारे पास तो जूते नहीं हैं परन्तु इसके तो पैर ही नहीं हैं। जितना कष्ट तुम्हें हो रहा है, उससे कहीं अधिक कष्ट इस समय इस व्यक्ति को हो रहा होगा। तुमसे भी दुखी लोग संसार में हैं। तुम्हें जूते चाहिए तो अधिक मेहनत करो। हिम्मत हार कर ईश्वर को दोष देने की जरूरत नहीं।”
उस व्यक्ति की बातों का मजदूर पर गहरा असर हुआ। वह उस दिन से अपनी कमियों को दूर कर अपनी योग्यता व मेहनत के बल पर बेहतर जीवन जीने का प्रयास करने लगा।
