Edited By Sarita Thapa,Updated: 27 Mar, 2025 03:38 PM

Inspirational Story: एक पेड़ पर एक उल्लू बैठा था। अचानक एक हंस भी आकर पास बैठ गया। हंस ने कहा, “उफ! कैसी गर्मी है। सूरज आज बड़े प्रचंड रूप में चमक रहा है।”
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Inspirational Story: एक पेड़ पर एक उल्लू बैठा था। अचानक एक हंस भी आकर पास बैठ गया। हंस ने कहा, “उफ! कैसी गर्मी है। सूरज आज बड़े प्रचंड रूप में चमक रहा है।”
उसकी बात सुनकर उल्लू बोला, “सूरज? यह सूरज क्या चीज है? इस वक्त गर्मी है- यह तो ठीक है, पर वह तो अंधेरा बढ़ने पर हो ही जाती है।”
हंस ने समझाने की कोशिश की, “सूरज आसमान में है। उसकी रोशनी दुनिया में फैलती है, उसी से गर्मी भी फैलती है।” उल्लू हंसा, “तुमने रोशनी नाम की एक और चीज बताई। तुम्हें किसने बहका दिया है?”
हंस ने समझाने की बहुत कोशिश की, मगर बेकार। आखिर उल्लू बोला, “अच्छा चलो उस वटवृक्ष तक, वहां मेरे सैंकड़ों अक्लमंद जाति-भाई रहते हैं। उनसे फैसला करा लो।”
हंस ने उल्लू की बात मान ली। जब दोनों उल्लुओं के समुदाय में पहुंचे तो उस उल्लू ने सबको सुनाकर कहा, “यह हंस कहता है कि आसमान में इस वक्त सूरज चमक रहा है। उसकी रोशनी दुनिया में फैलती है, उसी से गर्मी भी फैलती है।”

तमाम उल्लू हंस पड़े, “क्या वाहियात बात है। भाई, न सूरज कोई चीज है, न रोशनी कोई वस्तु। इस बेवकूफ हंस के साथ तुम तो बेवकूफ न बनो।”
सब उल्लू उस हंस को मारने झपटे। गनीमत यह थी कि उस वक्त दिन था, इसलिए हंस सही-सलामत बचकर उड़ गया। उड़ते हुए उसने मन में सोचा, बहुमत सत्य को असत्य तो कर नहीं सकता। लेकिन जहां उल्लुओं का बहुमत हो, वहां किसी समझदार के लिए सत्य को उनके गले उतार सकना बड़ा मुश्किल है।
