Edited By Prachi Sharma,Updated: 16 Apr, 2025 01:51 PM
ईश्वर जो करता है सदा ही अच्छा करता है। इसमें जिस व्यक्ति का विश्वास हो जाए उसके अनेक बिगड़े काम भी अपने आप सुधर जाते हैं। न सुधरने पर उसे दुख महसूस नहीं होता।
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Inspirational Story: ईश्वर जो करता है सदा ही अच्छा करता है। इसमें जिस व्यक्ति का विश्वास हो जाए उसके अनेक बिगड़े काम भी अपने आप सुधर जाते हैं। न सुधरने पर उसे दुख महसूस नहीं होता। वह लाभ तथा हानि दोनों अवस्थाओं में प्रसन्न रहता है। वह इसे ईश्वर की इच्छा मानता है।
संत नजीर भी ऐसे ही व्यक्ति थे। वह दीन-दुखियों की सेवा को भी भगवान की सेवा ही मानते थे। यह बात उन दिनों की है जब नजीर पेशवा के पुत्र को पढ़ाने जाते थे। उन्हें आने-जाने के लिए पेशवा से एक घोड़ी भी मिली हुई थी। वह घोड़ी का भी पूरा ख्याल रखते।
एक बार वह अपना वेतन लेकर घर जा रहे थे। एक बुजुर्ग ने उनकी घोड़ी रोककर कहा, “मेरी पुत्री का विवाह नजदीक है। मेरे पास पैसे नहीं हैं। यदि आप कुछ आर्थिक सहायता कर देते तो मेरा काम सरल हो जाता।”
“कोई बात नहीं बाबा। ईश्वर की यही मर्जी है कि मैं तुम्हारी मदद करूं, वरना तुम्हारी हमारी आज मुलाकात न होती। पिछले कल मेरी जेब खाली थी। मुझे आज ही वेतन मिला है। उम्मीद है ये पैसे आपके काम आएंगे।” कहते-कहते संत नजीर ने पूरा वेतन उस बुजुर्ग के हाथों पर रख दिया।
बुजुर्ग ने तो एक बार भी नहीं सोचा था कि इतनी बड़ी रकम एक बार मांगने पर ही व्यक्ति से मिल जाएगी।
बुजुर्ग जब दोनों हाथ जोड़ धन्यवाद करने और दुआ देने लगा तो संत नजीर ने कहा, “इसकी कोई जरूरत नहीं। मेरा मानना है कि व्यक्ति को अपने धन का खुद तो प्रयोग करना ही चाहिए, दूसरों की मदद में भी खर्च करना चाहिए।