International Gita Mahotsav: देश की संस्कृति और शिल्प कला का केंद्र बना अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Dec, 2024 08:25 AM

international gita mahotsav

कुरुक्षेत्र (ब्यूरो): अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का मंच देश की संस्कृति और शिल्पकला का मुख्य केन्द्र बन चुका है। इस महोत्सव के मंच पर विभिन्न राज्यों की शिल्पकला और लोक संस्कृति को सहजता से देखा जा सकता है।

 

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कुरुक्षेत्र (ब्यूरो): अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का मंच देश की संस्कृति और शिल्पकला का मुख्य केन्द्र बन चुका है। इस महोत्सव के मंच पर विभिन्न राज्यों की शिल्पकला और लोक संस्कृति को सहजता से देखा जा सकता है। इस अनोखी संगम से ब्रह्मसरोवर की फिजा भी महक उठी है। यह महक देश के कोने-कोने तक पहुंच चुकी है और इस महक से रोजाना हजारों लोग ब्रह्मसरोवर के तट पर खिंचे चले आते हैं। अहम पहलू यह है कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव दौरान 48 कोस के 182 तीर्थों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

एन.जैड.सी.सी. के अधिकारी भूपेंद्र सिंह का कहना है कि एन.जैड.सी.सी. की तरफ से पंजाब का लड्डू, हिमाचल की कुल्लू-नाटी, जम्मू-कश्मीर का राउफ, उत्तराखंड का छपेली नृत्य से पर्यटकों का मनोरंजन कर रहे हैं। इसके अलावा महोत्सव में पंजाब से बाजीगर, राजस्थान से बहरुपिए और कच्ची घोड़ी के कलाकार लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, राजस्थान, हिमाचल के साथ-साथ कई अन्य राज्यों की लोक संस्कृति इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में देखने को मिल रही है जब इन लोक कलाकारों द्वारा ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर अपनी प्रस्तुति दी जाती है तो वहां पर देखने वाले पर्यटक अपने पैरों पर थिरकने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसी अद्भुत संगीतमय लोक संस्कृति, इस महोत्सव में आने वाले सभी पर्यटकों के मन का रिझाने का काम कर रही है।
 

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