Edited By Prachi Sharma,Updated: 16 Dec, 2024 07:52 AM
धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर 3.5 किलोमीटर की परिधि में बसा हुआ तथा विश्व पटल पर अपनी एक अलग ही पहचान बनाए हुए ब्रह्मसरोवर की लहरती लहरें भी अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव के बीते हुए लम्हों को ब्यां करती नजर आ रही है।
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कुरुक्षेत्र (ब्यरो) : धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर 3.5 किलोमीटर की परिधि में बसा हुआ तथा विश्व पटल पर अपनी एक अलग ही पहचान बनाए हुए ब्रह्मसरोवर की लहरती लहरें भी अंतराष्ट्रीय गीता महोत्सव के बीते हुए लम्हों को ब्यां करती नजर आ रही है।
ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर 28 नवम्बर से 15 दिसम्बर तक 18 दिनों तक चले इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की सुंदरता को अपने अंदर समेटा हुआ है। अहम पहलू यह है कि ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर 18 दिनों तक चले इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में विभिन्न प्रदेशों से आए हस्त शिल्पकारों की अनूठी व हैरान करने वाली शिल्पकला ने लोगों का मन मोह लिया।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 के आखिरी दिन हजारों पर्यटक पहुंचे और उन्होंने शिल्पकारों की हस्त शिल्पकला का कद्रदान होकर जमकर खरीदारी भी की। इसके अलावा विभिन्न प्रदेशों के लोक कलाकारों की अनोखी लोक कला व अपने-अपने प्रदेश की लोक कला के साथ-साथ वेशभूषा और साहित्य को दिखाने का प्रयास किया गया।
जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, छत्तीसगढ़ के कलाकार अपने-अपने प्रदेश की लोक संस्कृति को अपने नृत्यों और लोक गीतों के माध्यम से दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया। इन लोक नृत्यों में बजने वाले वाद्य यंत्र लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं और लोक गीत दर्शकों
के मन पर अपनी अनोखी छाप छोड़ रहे हैं।
कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड व प्रशासन के तत्वावधान में भागीदारी प्रदेश ओडिशा व भागीदार देश संयुक्त गणराज्य तंजानिया एवं विभिन्न सहभागी संस्थाओं के प्रयासों से 18 दिनों तक चले इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का भव्य व सफल आयोजन किया गया। ओडिशा व तंजानिया के लोक कलाकारों की लोक कला का प्रदर्शन काफी सराहनीय रहा। इन राज्यों की कला का संगम देखते ही बन रहा है और इस संगम को देखकर हर किसी के चेहरे पर उत्साह, जोश, साफ नजर आ रहा है।