Edited By Jyoti,Updated: 04 May, 2020 03:37 PM
काठगोदाम स्टेशन से लगभग 130 कि.मी. की दूरी पर बसा प्रकृति की गोद में अपने अन्दर अनेक रहस्यों को समेटे रहने वाला ‘जागेश्वर स्थान’ प्रकृति एवं आस्था का अनोखा संगम है।
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काठगोदाम स्टेशन से लगभग 130 कि.मी. की दूरी पर बसा प्रकृति की गोद में अपने अन्दर अनेक रहस्यों को समेटे रहने वाला ‘जागेश्वर स्थान’ प्रकृति एवं आस्था का अनोखा संगम है। इस स्थान पर भगवान शंकर का एक जागृत शिवलिंग है। जागेश्वर स्थान पर स्थित शिवलिंग द्वादश शिवलिंगों में से एक है। देवदार के वृक्षों के बीच स्थित यह स्थान जहां आध्यात्मिक क्रिया कलापों के लिए एक शांत स्थान है, वहीं प्रकृति की सुन्दरता ने इसे सुरम्य बना डाला है। सामने फैली घाटी, सीढ़ीदार खेतों एवं पहाड़ी मकानों का आकर्षण बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। चारों तरफ फैली हरियाली एवं भव्य पहाड़ प्रकृति के विशेष आनन्द प्रदान करने में सक्षम हैं।
जागेश्वर मन्दिर के प्रांगण में लगभग सवा सौ छोटे-बड़े मन्दिर हैं। इन मन्दिरों में जागेश्वर नाथ के अतिरिक्त महामृत्युंजय नाथ, तांडेश्वर नाथ, पुष्टिमाता, अन्नपूर्णा माता आदि के भी मंदिर हैं। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार आठवीं एवं बारहवीं शताब्दी में इन मन्दिरों का निर्माण हुआ था।
जागेश्वर मन्दिर में पीतल की दो-दो फुट लंबी दो प्रतिमाएं हैं जिनमें से एक के हाथ में अखंड ज्योत वाला दीपक है। ये प्रतिमाएं चांद शासकों की हैं जो बाबा जागेश्वर के अनन्य भक्त थे। स्थानीय निवासियों के अनुसार घनघोर हिमपात होने के बावजूद यह दीपक निरंतर जलता रहता है।
पुष्टिमाता मन्दिर में देवी की मूर्ति है। महामृत्युंजय मंदिर में विशाल शिवलिंग है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि प्राचीन काल में सभी मन्दिरों में भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां थीं जिन्हें 1935 में अंग्रेजों द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से एक जगह कर दिया गया था। इस स्थान पर कुबेर मन्दिर समूह तथा दंडेश्वर मन्दिर समूह भी हैं। कुबेर मन्दिर कुछ ऊंचाई पर स्थित हैं। कुबेर मंदिर से जागेश्वरनाथ के मन्दिरों को देखने का एक अलग ही आनन्द है। दंडेश्वर मंदिर में एक विशाल प्राकृतिक शिलाखंड है। इसी शिलाखंड को शिवलिंग मान कर पूजा की जाती है।
जागेश्वर नाथ के मन्दिर से लगभग पन्द्रह सौ फुट की ऊंचाई पर वृद्ध जागेश्वर नाथ का मन्दिर स्थित है। वहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग का उपयोग किया जाता है। रास्ते में देवदार और चीड़ के घने एवं ऊंचे जंगल मिलते हैं। पर्वत के ऊपरी शिखर पर वृद्ध जागेश्वर बाबा का मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में भी अखंड ज्योति जलती रहती है।
जागेश्वर नाथ मन्दिर के पुजारी के अनुसार देवदार के वृक्षों से घिरे घने जंगल में स्थित बाबा जागेश्वर के मन्दिर में भक्तों का सैलाब साल भर लगा ही रहता है। यहां का मौसम साल भर सुहाना ही रहता है।
जागेश्वर स्थान पहुंचने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से काठगोदाम तक रेल का सफर करना होता है। काठगोदाम से आगे तक का सफर टैक्सी से किया जा सकता है। टैक्सी पहाड़ के सर्पीले, मोड़दार रास्तों को पार करती हुई लगभग 5 घंटों में जागेश्वर स्थान पहुंचा देती है। यहां ठहरने के लिए सरकारी पर्यटक आवास के साथ ही अनके प्राइवेट गैस्ट हाऊस भी निर्मित हैं।
जागेश्वर नाथ के दर्शन के बाद भीमताल जाकर वहां पर नौकायन का आनन्द उठाया जा सकता है। ताल के बीचों बीच एक रेस्तरां भी है।