Edited By Lata,Updated: 08 Jan, 2020 09:36 AM

उस समय हमारा देश भारत गुलाम था। अंग्रेज लोग भारतीयों के साथ-साथ उनके त्यौहारों से भी घृणा
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
उस समय हमारा देश भारत गुलाम था। अंग्रेज लोग भारतीयों के साथ-साथ उनके त्यौहारों से भी घृणा करते थे। एक बार पटना के कालेज में विटमोर नाम के एक नए अंग्रेज प्रिंसीपल आए। वह भारतीय विद्यार्थियों के साथ काफी कड़ाई से पेश आते थे। विटमोर को कालेज आए कुछ समय हुआ था कि दीवाली का त्यौहार आया। छात्रों ने सोचा कि क्यों न इस बार सभी छात्र आपस में मिलकर दीवाली मनाएं और पूरे कालेज को भी रोशनी से जगमगा दें। जब वे प्रिंसीपल के पास इसकी अनुमति मांगने पहुंचे तो विटमोर कड़क कर बोले, ''बिल्कुल नहीं। तुमने दीवाली मनाने की सोची भी कैसे? इस बार दीवाली पर तुम लोगों की विशेष परीक्षाएं होंगी और जो छात्र अनुपस्थित रहेगा उसे कालेज से बाहर निकाल दिया जाएगा। विद्यार्थियों ने जब यह सुना तो सारे के सारे भौंचक रह गए लेकिन कोई कुछ नहीं बोला। अंग्रेज प्रिंसीपल के विरोध करने का साहस कौन करता!

तभी एक विद्यार्थी आगे बढ़कर प्रिंसीपल से भिड़ गया और बोला, ''सर, मैं इस परीक्षा का बहिष्कार करता हूं। ''तुम्हारी इतनी हिम्मत? हैडमास्टर साहिब पूरी ताकत से गरजे। लड़का पीछे नहीं हटा तो उसे ताबड़तोड़ कई बैंत जड़ दिए। इसके बावजूद वह विद्यार्थी अपने निश्चय से टस से मस न हुआ। अब हैरान होने की बारी प्रिंसीपल साहिब की थी। थोड़ी देर बाद बोले, ''यह विद्यार्थी बड़ी से बड़ी शक्ति को हिलाने की हिम्मत रखता है। उन्होंने बच्चों को दीवाली मनाने की भी इजाजत दे दी। वह निडर छात्र कोई और नहीं लोकनायक जय प्रकाश नारायण थे जो न केवल आजादी की लड़ाई में शामिल रहे बल्कि आजादी के बाद लोकतंत्र बचाने की लड़ाई का भी नेतृत्व किया।