Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Apr, 2024 10:26 AM
जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर प्रभु महावीर के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रबल पुरुषार्थ करने वाले स्थानकवासी जैन समाज के सर्वमान्य गुरु सुदर्शन संघ के वर्तमान शिखर पुरुष संघ संचालक गुरुदेव श्री नरेश चंद्र जी महाराज
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Jainism Mahavira: जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर प्रभु महावीर के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रबल पुरुषार्थ करने वाले स्थानकवासी जैन समाज के सर्वमान्य गुरु सुदर्शन संघ के वर्तमान शिखर पुरुष संघ संचालक गुरुदेव श्री नरेश चंद्र जी महाराज ने फरमाया कि भगवान महावीर ने जन-जन को जीने का रास्ता दिखाया।
उन्होंने राज पाठ व सुख-सुविधाएं छोड़ साधना का मार्ग अपनाया था। भगवान ऋषभदेव जैन धर्म के प्रथम प्रवर्तक थे तथा भगवान महावीर अंतिम तीर्थंकर। भगवान के सिद्धांत आज देश की परिस्थितियों को परिवर्तित करने में सहयोगी बन सकते हैं। भगवान महावीर ने ‘जियो और जीने दो’ का संदेश देते हुए शाकाहार पर जोर दिया।
जीव रक्षा के लिए भगवान ने संतों के लिए मुख पट्टी की जो परम्परा चलाई, वह आज मास्क के रूप में प्रचलित हो रही है। इसी प्रकार विदेशों में भी शाकाहार को प्रमुखता दी जा रही है क्योंकि मांसाहार अमानवीय भोजन है। मांसाहार से क्रूरता, अत्याचार व हिंसा को बढ़ावा मिलता है। विश्वभर में ‘जैन फूड’ आज अलग पहचान रखता है।
यहां तक कि विश्वभर के बड़े-बड़े होटलों व एयरलाइंस में भी ‘जैन फूड’ का प्रावधान है। नशा मुक्ति के लिए भगवान ने मदिरा के त्याग का संदेश दिया। आज देश में दुराचार व भ्रष्टाचार का मुख्य कारण नशों का सेवन है। महात्मा गांधी को भी तत्कालीन जैन संतों ने शराब व मांस के त्याग का संकल्प कराया था। एक तरफ पंजाब में नशा मुक्ति के अभियान चलाए जा रहे हैं, दूसरी तरफ जगह-जगह शराब के ठेके खोले जा रहे हैं।
अगर वर्तमान में भगवान महावीर के अहिंसा परमोधर्म, शाकाहार तथा नशों के त्याग पर अमल किया जाए तो पंजाब व समूचा भारत देश पृथ्वी पर स्वर्ग बन सकता है। इसके लिए जरूरत है भगवान महावीर की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंंचाया जाए।