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5000 सालों से यहां विराजमान हैं भगवान शंकर

Edited By Lata,Updated: 24 Jan, 2021 01:18 PM

jaleshwar mahadev mandir

भगवान शंकर को कई नामों से पुकारा जाता है। अपने विभिन्न रूपों के लिए ये जग में जाने जाते हैं।

भगवान शंकर को कई नामों से पुकारा जाता है। अपने विभिन्न रूपों के लिए ये जग में जाने जाते हैं। कोई इनकी मूर्ति पूजा करता है तो कोई लिंग रूप में इनकी आराधना करता है। धार्मिक और ज्योतिष शास्त्र में कहा जाता है कि शिवलिंग के की जाने वाली इनकी आराधना अधिक लाभदायक होती है। यही कारण है न केवल अपने देश में बल्कि देश के बाहर भी इनके विभिन्न प्रकार के मंदिर स्थित है, जहां विधि-विधान से इनकी आराधना की जाती है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां लगभग 5000 सालों से भगवान शंकर विराजमान हैं। जी हां, जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं वो मंदिर गुजरात के नर्मदा जिले में भी स्थित है। जिसके बारे में मान्यता ये प्रचलित है कि जहां जो शिवलिंग स्थापित है उसके बारे में कहा जाता है कि ये शिवलिंग लगभग 5000 हज़ार साल पुराना है। तो चलिए देर न करते हुए जानते हैं इस खास मंदिर के बारे में, तथा इससे जुड़ी रोचक व दिलचस्प मान्यताओं के बारे में- 
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गुजरात राज्य के नर्मदा जिले के देडियापाडा तालुका के कोकम गांव में स्थित इस मंदिर से न केवल शिव भक्तों की बल्कि देश के लगभग बहुत से लोगों की श्रद्धा जुड़ी हुई है। जहां खासरूप से सावन में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है।  यहां की लोक प्रचलित मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का अस्तित्व लगभग 5000 वर्ष से पुराना है।
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लोगों का कहना है कि साल 1940 में यहां पुरातत्व विभाग द्वारा जब खुदाई की गई थी। जिस दौरान यह 5000 वर्ष पुराना शिवलिंग प्राप्त हुआ।  इस दौरान  पुरातत्व विभाग को कई अनमोल चीजों की प्राप्ति हुई। जिसमें मंदिर से जुड़े साक्ष्यों का उल्लेख करने के बाद पुरातत्व विभाग ने इस शिवलिंग को 5000 साल पुराना करार दिया था।  हजारों वर्षों पुराने शिवलिंग वाले इस मंदिर को जलेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। जिसके साथ  शिव भक्तों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। कहा जाता है प्रत्येक वर्ष यहां लाखों की तादाद में श्रद्धालु पंहुच कर भगवन शिव के अद्भुत दर्शन प्राप्त कर पुण्य लाभ कमाते हैं। तो वहीं इस मंदिर के बारे में शास्त्रों में जो वर्णन किया गया है, उसके अनुसार मंदिर के निकट बहती नदी को पूर्वा नदी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस नदी में स्नान कर शिवलिंग के दर्शन करने से पापों से मुक्ति मिलती है। 

 

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