Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Mar, 2025 07:41 AM

Jallianwala Bagh Massacre: भारत को गुलामी की जंजीरों से आजाद करवाने के लिए जब देश के कोने-कोने से इंकलाब जिंदाबाद के नारे गूंजने लगे तो इससे अंग्रेज घबरा गए। ब्रिटिश सरकार द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने के लिए 1919 में रोलेट एक्ट जिसे काला कानून...
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Jallianwala Bagh Massacre: भारत को गुलामी की जंजीरों से आजाद करवाने के लिए जब देश के कोने-कोने से इंकलाब जिंदाबाद के नारे गूंजने लगे तो इससे अंग्रेज घबरा गए। ब्रिटिश सरकार द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने के लिए 1919 में रोलेट एक्ट जिसे काला कानून भी कहते हैं, लागू किया। इसके अंतर्गत ब्रिटिश सरकार को और अधिक दमनकारी अधिकार दिए गए थे। विरोध में पूरा भारत उठ खड़ा हुआ। पंजाब भर में भी इसके खिलाफ लोग गिरफ्तारियां दे रहे थे। पंजाब के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ डायर ने हर तरह की सख्ती करने के आदेश दे दिए थे।
Jallianwala Bagh Hatyakand: अमृतसर में दो बड़े नेताओं डा. सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू को गिरफ्तार कर कालापानी की सजा दे दी गई। दोनों नेताओं को रिहा करने के लिए अंग्रेजों ने शांतिप्रिय तरीके से विरोध प्रकट कर रही जनता पर गोलियां चलवा दीं जिससे तनाव बहुत बढ़ गया। अंग्रेजों ने पंजाब के अधिकतर भाग पर मार्शल लॉ लागू कर दिया।
How many died in jallianwala bagh: दमनकारी सख्तियों का विरोध करने के लिए स्वतंत्रता के लिए जूझ रहे नेताओं ने 13 अप्रैल, 1919 को बैसाखी वाले दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में विरोध सभा करने का ऐलान किया।
Who ordered Jalian Wala Bhag massacre: जब नेता भाषण दे रहे थे, तभी ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर सैनिकों को लेकर वहां पहुंच गया। नेताओं ने उन सैनिकों को देखा तो उन्होंने सभी लोगों को शांत बैठे रहने के लिए कहा।
जनरल डायर ने जलियांवाला बाग में जाने के लिए एकमात्र संकरे रास्ते को बंद कर दिया और बिना कोई चेतावनी दिए लोगों पर गोली चलाने का हुक्म सिपाहियों को दे दिया।

10 मिनट में लगभग 1650 गोलियां चलाई गईं। इस नरसंहार में हजारों लोग मारे गए लेकिन सरकारी दस्तावेज में सिर्फ 379 लोगों के मारे जाने की ही जानकारी है।
Martyrs Well: गोलीबारी के दौरान कुछ लोग जान बचाने के लिए वहां मौजूद कुएं में कूद गए। कहा जाता है कि बाद में करीब 120 लोगों की लाशें कुएं से निकाली गईं।
इसने अंग्रेजों के अमानवीय दृष्टिकोण को उजागर किया। किसी एक घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला था तो वह, यह जघन्य हत्याकांड ही थी। गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर ने इस हत्याकांड के विरोध स्वरूप अपनी ‘नाइटहुड’ की उपाधि को भी वापस कर दिया था।
Udham Singh took revenge उधम सिंह ने लिया था बदला
ऊधम सिंह पर इस घटना का बड़ा प्रभाव पड़ा। इसका बदला लेने के लिए उन्होंने सारा जीवन समर्पित कर दिया। अंतत: 13 मार्च, 1940 को लंदन में माइकल ओ डायर को अपनी गोली का निशाना बना कर मार डाला जो जलियांवाला बाग नरसंहार के समय पंजाब का लैफ्टीनैंट गवर्नर था।

Jallianwala Bagh Memorial जलियांवाला बाग स्मारक
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने बाग में स्मारक बनाने के लिए एक ट्रस्ट की स्थापना की गई थी। 1923 में ट्रस्ट ने स्मारक परियोजना के लिए भूमि खरीदी। अमरीकी वास्तुकार बेंजामिन पोल्क द्वारा डिजाइन किया गया एक स्मारक यहां बनाया गया।
13 अप्रैल, 1961 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद ने इसका उद्घाटन किया था। कुछ समय पूर्व ही सरकार ने इसे नया रूप दिया है। स्मारक में शहीदों की मूर्तियां लगाई गई हैं। गैलरियों का निर्माण लम्बे समय से बेकार पड़ी और कम इस्तेमाल वाली इमारतों को रैनोवेट करके किया गया है।