Edited By Lata,Updated: 16 Feb, 2020 10:51 AM
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सीता माता का जन्म हुआ और ये खास दिन
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हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सीता माता का जन्म हुआ और ये खास दिन आज यानि 16 फरवरी का आया है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन को सीता जयंती व जानकी जयंती के नाम से जाना जाता है। इस दिन माता सीता की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है और साथ ही सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से घर परिवार में सुख-शांति भी बनी रहती है। चलिए आगे जानते हैं, इस दिन का शास्त्रों में क्या है महत्व और इसकी पूजा विधि क्या है?
महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सीता जयंती का व्रत करने से वैवाहिक जीवन के कष्टों का नाश होता है और साथ ही जीवनसाथी की दीर्घायु होती है। इस व्रत को करने से समस्त तीर्थों के दर्शन का लाभ प्राप्त होता है।
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पूजा विधि
इस दिन प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और सीता जयंती व्रत का संकल्प करें। फिर पूजा स्थल पर माता सीता और श्री राम की प्रतिमा स्थापित करें। अब पूजा का प्रारंभ गणेश जी और अंबिका जी की आराधना से करें।
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इसके बाद सीता जी को पीले फूल, कपड़े और श्रृंगार का सामान अर्पित करें। अक्षत्, रोली, चंदन, धूप, गंध, मिठाई आदि अर्पित करें। इसके पश्चात श्रीसीता-रामाय नमः या श्री सीतायै नमः मंत्र का जाप करें। यह आपके लिए फलदायी होगा।
भोग में पीली चीजों को चढ़ाएं और उसके बाद मां सीता की आरती करें। इसी के साथ आज के दिन दूध-गुड़ से बने व्यंजन बनाएं और दान करें और शाम को पूजा करने के बाद इसी व्यंजन से व्रत खोलें।