Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Dec, 2024 06:26 AM
Janakpur Nepal Tourism 2024: भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुआ था। इस तिथि का विशेष महत्व होता है। इस साल यह 6 दिसम्बर को पड़ रही है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता का जन्म जनकपुर में हुआ था।...
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Janakpur Nepal Tourism 2024: भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हुआ था। इस तिथि का विशेष महत्व होता है। इस साल यह 6 दिसम्बर को पड़ रही है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता का जन्म जनकपुर में हुआ था। जनकपुर का प्राचीन नाम मिथिला और विदेह नगर था। यहीं के रानी बाजार नामक जगह पर मणिमंडप स्थान है। मान्यता है कि यहीं श्री राम-सीता का विवाह हुआ था।
Shri Ram-Sita's anniversary is celebrated every year हर साल मनाई जाती है श्रीराम-सीता की वर्षगांठ
जिस दिन श्रीराम-सीता का विवाह हुआ था, उस दिन को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को अयोध्या नरेश और जनक दुलारी के विवाह की वर्षगांठ मनाई जाती है। वहीं इस दिन इनकी विधिवत पूजा-अर्चना के साथ ही माता सीता और भगवान श्रीराम के विवाह प्रसंग को सुनने का भी विधान है। मान्यता है कि इसको सुनने या पढ़ने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं।
Janaki Temple of Nepal, where the swayamvar of mother Sita took place नेपाल का जानकी मंदिर, जहां हुआ था माता सीता का स्वयंवर
जानकी मंदिर नेपाल के काठमांडू से लगभग 400 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजपूताना महारानी वृषभभानु कुमारी ने 1911 ईस्वी में करवाया था। इसके निर्माण में 16 साल का समय लगा था, जो 1895 ईस्वी से 1911 तक चला था। सीता स्वयंवर के दौरान भगवान राम द्वारा तोड़े गए धनुष के अवशेष मंदिर में आज भी मौजूद माने जाते हैं।
जनकपुर नेपाल का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। इस मंदिर की वास्तुकला बेहद अद्भुत है। माता सीता को समर्पित इस मंदिर को ऐतिहासिक स्थल भी माना जाता है, जहां माता सीता का जन्म हुआ और उनके विवाह के बाद यह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम चंद्र का ससुराल बना। आज भी इस मंदिर में ऐसे प्रमाण मौजूद हैं जो रामायण काल का उल्लेख करते हैं।
History of Janakpur Dham Temple जानकीपुर धाम मंदिर का इतिहास
जानकीपुर धाम के रूप में विख्यात माता सीता का यह मंदिर 4860 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। मंदिर के निर्माण में करीब 16 साल का समय लगा था। मंदिर के आसपास 115 सरोवर और कुंड हैं, जिनमें से गंगा सागर, परशुराम सागर एवं धनुष सागर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं। मंदिर के निर्माण में करीब 9 लाख रुपए लगे थे, इसलिए मंदिर को नौलखा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इतिहासकारों के अनुसार 1657 ईस्वी में यहां पर माता सीता की सोने की मूर्ती मिली थी।
Shiva's bow was broken in Janakpur Dham जनकपुर धाम में तोड़ा था शिव धनुष
कहते हैं कि भगवान श्री राम ने यहीं पर माता सीता से विवाह के लिए स्वयंवर में भगवान शिव का धनुष तोड़ा था। यहां मौजूद पत्थर के टुकड़े को धनुष का अवशेष बताया जाता है।
जनकपुर धाम में आज भी वह स्थान मौजूद है जहां पर राजा जनक को माता सीता का प्रापत्य हुआ था। सीता जयंती के अवसर पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर आते हैं और विधि-विधान से माता सीता की पूजा-अर्चना करते हैं।
There is a special belief about the wedding hall विवाह मंडप को लेकर है खास मान्यता
मंदिर के प्रांगण में स्थित एक विवाह मंडप को लेकर मान्यता है कि यहीं पर माता सीता और भगवान राम का विवाह हुआ था। इस विवाह मंडप के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं, मान्यता है कि यहां पर आने से सुहाग की उम्र लंबी होती है। आसपास के लोग विवाह के अवसर पर यहां से सिंदूर लेकर जाते हैं।
Akhand Kirtan is going on continuously for 57 years 57 साल से लगातार चल रहा अखंड कीर्तन
बता दें कि माता जानकी मंदिर में 1967 से यानी 57 वर्ष से लगातार भगवान श्री राम और माता सीता का जाप तथा अखंड कीर्तन चल रहा है।