इस पावन स्थल पर हुआ था माता सीता का स्वयंवर, क्या है इस नौलखा मंदिर का इतिहास?

Edited By Jyoti,Updated: 10 May, 2022 06:36 PM

janki temple nepal

आज वैसाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानि सीता नवमी के उपलक्ष्य पर हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से देवी सीता से जुड़ी जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं। इसी बीच अब हम आपको देवी सीता के एक ऐसे

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आज वैसाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानि सीता नवमी के उपलक्ष्य पर हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से देवी सीता से जुड़ी जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं। इसी बीच अब हम आपको देवी सीता के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने में जा रहे हैं, जहां त्रेता युग में माता सीता का स्वयंवर हुआ था। जी हां, प्रचलित मान्यताओं के अनुसार नेपाल में स्थित जानकी मंदिर जिसे नौलखा मंदिर वहीं स्थान है जहां देवी सीता का स्वयंयर हुआ था। बहुत कम लोग जानते हैं देवी सीता के पिता राजा जनक की राजधानी का नाम जनकपुर था, जो असल में नेपाल में है। बताया जाता है जनकपर नेपाल का बेहद प्रसद्धि स्थान है। तो वहीं यहां स्थापित जनक मंदिर की कलाकृति बेहद अद्भुत है। यहां के लोक मत के अनुसार इस मंदिर को प्राचीन व ऐतिहासिक स्थल की गिनती में माना जाता है। तो आइए जानते हैं इस मंदिर से संबंधित अन्य खास बातें- 
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सबसे पहले बात करते हैं इस मंदिर के इतिहास की तो बताया जाता है नेपाल के काठमांडू शहर से लगभग 400 कि.मी दूर ये मंदिर स्थित है। जानकी मंदिर के रूप में देश में विख्यात सीता माता का यह मंदिर करीबन 4860 वर्गमीटर में फैला हुआ है जिसके निर्माण को लेकर किंवदंति ये प्रचलित है इसके निर्माण में लगभग16 साल का समय लगा था। अर्थात इस मंदिर का निर्माण 1895 ई में शुरु होकर 1911 में संपूर्ण हुआ था। 

बता दें मंदिर के आसपास 115 सरोवर व कुंड हैं, जिसमें में गंगा सागर, परशुराम सागर तथा धनुष सागर सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यहां के लोगों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस मंदिर का निर्माण राजपुताना महारानी वृषभभानू कुमारी के द्वारा करवाया गया था, जिसमें लगभग 09 लाथ रुपए लगाए गए थे। अतः .ये भी एक कारण है जो इस मंदिर को नौलखा नाम से जाना जाता है। इतिहासकारों के अनुसार 1657 ई में यहां माता सीता की सोने की मूर्ति प्राप्त हुई थीं। 
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इस मंदिर करी सबसे खास बात जो दूर से दूर से आने वाले लोगों को इससे जोड़ती है वो ये है कि यहां माता सीता का स्वंयवर हुआ था, जिसमें प्रभु श्री राम ने विजय हासिल कर, माता सीता को अपनी पत्नी के रूप देवी सीता को पाया था। धार्मिक कथाओं के अनुसार इसी स्थल पर भगवान श्री राम ने भगवान शिव के पिनाक नामक धनुष को दो टुकड़ों में कर दिया था। बता दें यहां मौजूद पत्थर के टुकड़ों को उस धनुष का अवशेष माना जाता है। 

मुख्य रूप से इस मंदिर में सीता नवमी के पर्व भक्तों की अधिक भीड़ देखी जाती है। धार्मिक व प्रचलित कथाओं के अनुसार देवी सीता ने धरती मां के गर्भ से जन्म लिया था और निःसंतान राजा जनक को खेत में हल चलाते समय मिलती थी। ऐसा कहा जाता है जनकपुर धाम में आज भी वह स्थान मौजूद है जहां माता सीता का प्राक्टय हुआ था। 
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बता दें नेपाल के इस जानकी मंदिर के प्रांगन में एक विशेष विवाह मंडप स्थित है, जिसे लेकर कहा जाता है यह वहीं विवाह मंडप है जहां श्री राम और माता सीता का विवाह संपन्न हुआ था। मान्यता है दूर-दूर से लोग इस विवाह मंडप के दर्शनों के लिए आते हैं। विवाह मंडप को लेकर मान्यता प्रचलित है कि यहां आने से माता सीता के आशीर्वाद से सुहाग की उम्र लंबी होती है। इसके अलावा ये भी मान्य़ता है कि विवाह आदि के अवसर पर लोग यहां मुख्य रूप से सिंदूर लेरक जाते हैं। मंदिर की अन्य सबसे खास बात ये है कि यहां 1967 से आज तक यानि लगभग 55 सालों से माता सीता का जप तथा अखंड कीर्तन चल रहा है। 

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