Edited By Prachi Sharma,Updated: 22 Sep, 2024 06:50 AM
साल 2024 में संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला व्रत 24 सितंबर दिन बुधवार को पड़ रह है। इस व्रत को सबसे लंबा और कठिन माना जाता है
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Jitiya Vrat 2024: साल 2024 में संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला व्रत 24 सितंबर दिन बुधवार को पड़ रह है। इस व्रत को सबसे लंबा और कठिन माना जाता है। क्योंकि इस व्रत को करने वाली महिला को 03 दिन तक इसके नियमों का पालन करना पड़ता है। निर्जल निराहार होने के कारण इस व्रत को बेहद कठिन माना जाता है। इसके अलावा इस व्रत को एक बार शुरू करने के बाद इसे छोड़ा नहीं जाता है। ये व्रत सिर्फ सास से बहू को ट्रांसफर जरूर किया जा सकता है। इस व्रत को करने से पहले अनेकों बाते जाननी आवश्यक होती है। ऐसे में अगर आप जितिया व्रत पहली बार रख रही हैं तो ये जानकारी आपके लिए बहुत खास है। तो चलिए जानते हैं जितिया व्रत को करने के सटीक नियम-
जितिया व्रत को करने वाली महिलाओं को एक दिन पहले से ही तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज या मांसाहार नहीं करना चाहिए। महिला का ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य होता है। व्रत हमेशा शांत मन से करें और व्रत के दिन मन में बुरे विचार या बुरे वचन न बोलें। व्रत के दौरान मन, वचन और कर्म की शुद्धता बेहद जरूरी है। इसके कलह और झगड़े से व्रत खंडित हो सकता है।
अगर आप पहली बार से ही निर्जला व्रत रख रही तो आजीवन इसे निर्जला रखना होगा। व्रत के दिन बच्चों के साथ समय गुजारें और उन्हें जितिया की कथा सुनाएं क्योंकि इसके बिना व्रत का पुण्यफल नहीं मिलेगा।
पहली बार जितिया व्रत रख रही महिलाओं को बता दें, इस दिन व्रत कथा के जीमूतवाहन की पूजा का विधान है। अष्टमी तिथि के दिन प्रदोष काल में तालाब के निकट कुशा से जीमूतवाहन की मूर्ति बनाई जाती है। साथ ही कथा के चील और मादा सियार की मूर्तियां भी गोबर से बनाते हैं। सबसे पहले जीमूतवाहन को धूप,दीप,फूल और अक्षत चढ़ाएं तथा चील और सियार को लाला सिंदूर से टीका लगाएं। इसके बाद व्रत कथा का पाठ करें और अतं में आरती की जाती है। इस दिन पूजन में पेड़ा, दूब, खड़ा चावल, 16 गांठ का धागा, इलाईची, पान-सुपारी और बांस के पत्ते भी चढ़ाए जाते हैं। जितिया के पूजन में सरसों का तेल और खली भी चढ़ाई जाती है, जिसे बुरी नजर दूर करने के लिए अगले दिन बच्चों के सिर पर लगाया जाता है।
जितिया व्रत की तिथि हिन्दू पंचांग के मुताबिक़ जितिया व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस साल 23 सितंबर को नहाय खाय है जिस चलते अगले दिन यानी 24 सितंबर, बुधवार के दिन जितिया व्रत रखा जाएगा। इस व्रत का पारण अगले दिन 25 सितंबर को किया जाएगा।
अष्टमी तिथि के दिन स्नान करके जीमूत वाहन देवता को पूजा जाता है। जबकि उसी दिन प्रदोष काल में भी जीमूत वाहन देवता की भी पूजा की जाती है। मान्यता है कि देव को दीप, धूप, अक्षत, रोली, लाल और पीली रूई से सजा कर फिर उन्हें भोग लगाते हैं।
इसके अलावा पूजन के समय मिट्टी और गाय के गोबर से चील और सियारिन की मूर्ति बनाकर उन्हें लाल सिंदूर लगाया जाता है। फिर जीवित्पुत्रिका की कथा पढ़ी जाती है। फिर वंश की वृद्धि और प्रगति की कामना के साथ बांस के पत्रों से भगवान की पूजा की जाती है।
पारण करने का नियम धार्मिक मन्यताओं के मुताबिक़ जितिया व्रत के तीसरे दिन ही पूजा-पाठ के बाद इसका पारण किया जाता है। कई जगहों पर इस दिन भी नहाए खाए वाले दिन ग्रहण किया गया भोजन ही किया जाता है। जैसे-मंडुआ की रोटी, नोनी का साग, दही-चूरा, खार आदि। दोपहर 12 बजे के बाद पारण कर लेना चाहिए। बस सूर्यास्त के पहले पारण जरूर कर लें।