Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 May, 2023 09:07 AM
मई दिन शुक्रवार को ज्येष्ठ अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। शास्त्रों में सभी अमावस्याओं में ज्येष्ठ अमावस्या का विशेष महत्व
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Jyeshtha Amavasya 2023: मई दिन शुक्रवार को ज्येष्ठ अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। शास्त्रों में सभी अमावस्याओं में ज्येष्ठ अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर जप-तप व दान आदि धार्मिक कार्य किए जाते हैं। ज्येष्ठ अमावस्या पितरों की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और भोजन कराने के लिए शुभ माना गया है। इस दिन शनि जयंती और वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु, शनिदेव और बरगद के पेड़ की पूजा करने का विधान है। आइए जानते हैं ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व, पूजा विधि और मुहूर्त
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Jyestha Amavasya Puja Muhurat ज्येष्ठ अमावस्या पूजा मुहूर्त
ज्येष्ठ अमावस्या 19 मई 2023 दिन शुक्रवार
ज्येष्ठ अमावस्या की शुरुआत- 18 मई, रात 9 बजकर 42 मिनट से
ज्येष्ठ अमावस्या का समापन- 19 मई, रात 9 बजकर 22 मिनट पर
अमावस्या तिथि स्नान मुहूर्त- 19 मई, सुबह 4 बजकर 59 मिनट से 5 बजकर 15 मिनट तक
शनिदेव पूजा मुहूर्त- 19 मई, शाम 6 बजकर 42 मिनट से रात 7 बजकर 3 मिनट तक
Significance of Jyestha Amavasya ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती के होने से इस तिथि का महत्व बढ़ गया है। इस अमावस्या का धार्मिक दृष्टि से खास महत्व है क्योंकि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से सात जन्मों के पाप और पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। अमावस्या तिथि के स्वामी पितरों को बताया गया है इसलिए इस तिथि पर व्रत पूजन करके पितरों को तर्पण व पिंड दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। वहीं शनिदेव की उपासना करने से शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या व महदाशा से मुक्ति मिल जाती है। शनि जयंती के साथ इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु और समृद्धि के लिए वट सावित्री का व्रत रखती हैं इसलिए उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या को बहुत पवित्र, पुण्य फलदायी और सौभाग्यशाली माना गया है।
Jyestha Amavasya Puja Method ज्येष्ठ अमावस्या पूजा विधि
ज्येष्ठ अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है।
स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दें और बहते जल में तिल प्रवाहित करें।
पितरों की शांति के लिए पिंडदान व तर्पण कर ब्राह्मण भोज कराव सकते हैं।
अगर बाहर स्नान करना संभव नहीं है तो घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर ईष्ट देवों का ध्यान करते हुए स्नान करना चाहिए।
ज्येष्ठ अमावस्या पर किए गए तीर्थ स्नान व दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और पितृ दोष भी दूर होता है।
इसके बाद पीपल के पेड़ पर जल, अक्षत, सिंदूर आदि चीजें अर्पित करें और 11 परिक्रमा करें।
ज्येष्ठ अमावस्या पर शनि जयंती भी है इसलिए शनि मंदिर जाकर शनिदेव की पूजा भी करें।
शनिदेव को सरसों का तेल, काले तिल, काला कपड़ा और नीले फूल अर्पित करें।
फिर शनि मंत्र व शनि चालीसा का पाठ करें।
वट सावित्री का व्रत करने वाली महिलाएं इस दिन यम और बरगद के पेड़ की पूजा करें और दान दक्षिणा अवश्य करें।
साथ ही सुहाग की चीजें भी गरीब व जरूरतमंद महिलाओं में बांट दें।
Do's and Don'ts on Jyestha Amavasya ज्येष्ठ अमावस्या के दिन क्या करें और क्या न करें
ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान या पवित्र नदी में स्नान करें।
घर में झाड़ू पोछा लगाने के बाद गंगा जल या गौमूत्र से छिड़काव करें।
पितरों के नाम का घर की दक्षिण दिशा में दीपक जलाएं।
ज्येष्ठ अमावस्या का व्रत करें और पीपल के पेड़ की पूजा करें।
लहसुन-प्याज आदि तामसिक भोजन से दूर रहें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
गरीब व जरूरतमंद व्यक्ति का अपमान न करें और दान पुण्य अवश्य करें।
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड राष्ट्रीय गौरव रत्न से विभूषित
पंडित सुधांशु तिवारी
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