Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Sep, 2024 06:56 AM
शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठा गौरी पूजा और विसर्जन भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में एक महत्वपूर्ण उत्सव है। यह पूजा खासतौर पर भारत के विभिन्न हिस्सों में विशेष रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में बड़े
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Jyeshtha Gauri Visarjan 2024: शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठा गौरी पूजा और विसर्जन भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में एक महत्वपूर्ण उत्सव है। यह पूजा खासतौर पर भारत के विभिन्न हिस्सों में विशेष रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। ज्येष्ठा गौरी की पूजा और विसर्जन का महत्व शास्त्रों में विस्तृत रूप से वर्णित है। यहां हम इस परंपरा के शास्त्रीय पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
Jyeshtha Gauri katha: ज्येष्ठा गौरी की कथा पढ़ने और सुनने से होता है जीवन में आ रही समस्याओं का The End !
Importance of Jyeshtha Gauri Puja ज्येष्ठा गौरी पूजा का महत्व
ज्येष्ठा गौरी जिन्हें ज्येष्ठा देवी या ज्येष्ठा मां भी कहा जाता है, माता पार्वती की एक रूप हैं और यह भी देवी लक्ष्मी की बहन मानी जाती हैं। ज्येष्ठा देवी का वर्णन हिन्दू धर्मग्रंथों में उल्लेखित है, जिनमें वे एक विशेष रूप से पूजा योग्य देवी हैं, जो समृद्धि, सुख और सौभाग्य का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनके पूजन से परिवार के संकट दूर होते हैं और समृद्धि आती है।
ज्येष्ठा गौरी पूजा की तैयारी: पूजा से पहले घर की पूरी सफाई की जाती है। विशेष रूप से पूजा स्थल को स्वच्छ किया जाता है और वहां नवीन वस्त्र बिछाए जाते हैं।
मूर्ति की स्थापना: ज्येष्ठा गौरी की मिट्टी, धातु, या पत्थर की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इन मूर्तियों की सजावट सुंदर फूलों और वस्त्रों से की जाती है।
Method of worship of Jyeshtha Gauri ज्येष्ठा गौरी पूजा विधि
पहर की पूजा: पूजा के लिए प्रात: काल का समय सबसे उत्तम माना जाता है। घर के सभी सदस्य स्नान कर के पवित्र होकर पूजा स्थल पर एकत्रित होते हैं।
नैवेद्य: ज्येष्ठा गौरी को विभिन्न प्रकार के नैवेद्य (भोग) अर्पित किए जाते हैं जैसे फल, मिठाई और दूध।
अर्चना: देवी की विधिपूर्वक अर्चना की जाती है। मंत्रोच्चार और शास्त्रीय श्लोकों का पाठ किया जाता है, जो देवी की पूजा को पूर्णता प्रदान करता है।
दीप और धूप: देवी के समक्ष दीपक और धूप जलाए जाते हैं। इससे पूजा स्थल पर एक दिव्य वातावरण बनता है।
Jyestha Gauri special puja ritual ज्येष्ठा गौरी विशेष पूजा अनुष्ठान
कथाएं और भजन: पूजा के दौरान देवी की महिमा से संबंधित कथाएं और भजन गाए जाते हैं। यह देवी के प्रति श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करता है।
हवन और यज्ञ: कुछ परिवार हवन या यज्ञ भी करते हैं, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन की समस्याओं का समाधान होता है।
Importance of Jyestha Gauri immersion ज्येष्ठा गौरी विसर्जन का महत्व
पूजा के बाद ज्येष्ठा गौरी का विसर्जन होता है, जो इस पूजा की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। विसर्जन के माध्यम से भक्त देवी से विदाई लेते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं।
विसर्जन की प्रक्रिया
विसर्जन की तैयारी: पूजा के एक दिन बाद, ज्येष्ठा गौरी की मूर्ति को विसर्जन के लिए तैयार किया जाता है। मूर्ति को सजाया जाता है और उसे विसर्जन स्थल पर ले जाया जाता है।
विसर्जन यात्रा: भक्तगण मूर्ति को अपने सिर पर रखकर या हाथों में पकड़े हुए विसर्जन स्थल की ओर जाते हैं। इस यात्रा के दौरान भजन, कीर्तन और धार्मिक गीत गाए जाते हैं।
विसर्जन स्थल: विसर्जन स्थल पर मूर्ति को जल में विसर्जित किया जाता है। यह प्रक्रिया संपूर्ण होती है जब देवी को जल में विसर्जित किया जाता है और भक्त उन्हें अंतिम विदाई देते हैं।