Edited By Prachi Sharma,Updated: 21 Jun, 2024 06:47 AM
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि बेहद पवित्र मानी गई है। पूर्णिमा का व्रत करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस जगत के पालनहार श्री हरि और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। जैसा कि अभी ज्येष्ठ माह चल रहा है
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Jyeshtha Purnima: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि बेहद पवित्र मानी गई है। पूर्णिमा का व्रत करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस जगत के पालनहार श्री हरि और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। जैसा कि अभी ज्येष्ठ माह चल रहा है, तो बता दें कि ज्येष्ठ पूर्णिमा को जेठ पूर्णमासी भी कहा जाता है। पंचांग के अनुसार आज ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत रखा जा रहा है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि का आरंभ 21 जून को सुबह 07 बजकर 21 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन 22 जून को सुबह 06 बजकर 37 मिनट पर होगा। बता दें कि पूर्णिमा पर रात के समय मां लक्ष्मी की विशेष तौर पर पूजा की जाती है साथ ही साथ इस दिन चंद्रमा की पूजा करने और उन्हें अर्घ्य देने का विधान है। ऐसे में ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत 21 जून, दिन शुक्रवार को किया जाएगा और ज्येष्ठ पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान व दान किया जाता है। ऐसे में आपको बता दें कि उदया तिथि के अनुसार, 22 जून, दिन शनिवार को पवित्र स्थल पर स्नान व दान-कर्म किया जाएगा।
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आगे आपको बता दें कि ज्येष्ठ पूर्णिमा पर सत्यनारायण पूजा का शुभ समय सुबह 07 बजकर 09 मिनट से 10 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। वहीं मां लक्ष्मी की पूजा का सबसे उत्तम मुहूर्त रात 09 बजकर 53 मिनट से लेकर 11 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा इस दिन चंद्रोदय का समय रात 07 बजकर 04 मिनट पर होगा और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त 22 जून को प्रातःकाल 04 बजकर 04 मिनट से 04 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
बताते चलें कि इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा पर शुभ योग का निर्माण हो रहा है। आज शुभ योग शाम 06 बजकर 42 मिनट पर रहेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुभ योग में पूर्णिमा का व्रत रखने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और आर्थिक परेशानियां दूर होता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा की पूजन विधि-
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठें।
इसके बाद स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें।
भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
इसके बाद चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर श्री हरि और मां लक्ष्मी की प्रतिमा विराजमान करें।
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फिर घी का दीपक जलाकर विष्णु जी को गंध, पुष्प, फल और फूल अर्पित करें।
मां लक्ष्मी को श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं।
विष्णु चालीसा का पाठ करें और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जप करें।
अंत में भगवान विष्णु जी की आरती कर फल, मिठाई समेत चीजों का भोग लगाएं।
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