Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Nov, 2024 01:00 AM
Kaal Bhairav Jayanti 2024: हिंदू धर्म में काल भैरव जयंती का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष माह में कई खास और महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार पड़ते हैं, इन्हीं में से एक काल भैरव जयंती है।
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Kaal Bhairav Jayanti 2024: हिंदू धर्म में काल भैरव जयंती का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष माह में कई खास और महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार पड़ते हैं, इन्हीं में से एक काल भैरव जयंती है। हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। माना जाता है कि मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को शिव जी के रौद्र स्वरूप काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी। ये भगवान भोलेनाथ के रौद्र रूप हैं। इस दिन काल भैरव की पूजा करने से घर में सदा सुख, शांति और खुशहाली बनी रहती है। साथ ही भय, क्रोध, लालसा और नकारात्मक ऊर्जा से भी छुटकारा मिलता है। तो आइए जानते हैं काल भैरव जयंती के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में-
Kala Bhairava Jayanti 2024 Date and Shubh muhurat काल भैरव जयंती 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त
हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 नवंबर को शाम 6 बजकर 07 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 23 नवंबर 2024 को रात 7 बजकर 56 पर समाप्त होगी। ऐसे में 22 नवंबर, शुक्रवार को काल भैरव जयंती मनाई जाएगी।
Kala Bhairava Jayanti Puja muhurat काल भैरव जयंती पूजा मुहूर्त
काल भैरव पूजा मुहूर्त – 22 नवंबर सुबह 6 बजकर 50 मिनट से सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक
निशिता काल मुहूर्त – 22 नवंबर रात 11 बजकर 41 मिनट से 23 नवंबर रात 12 बजकर 34 मिनट तक
Kaal Bhairav Jayanti mahatva काल भैरव जयंती महत्व
मान्यता है कि मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को शिव जी के रौद्र स्वरूप काल भैरव की उत्पत्ति हुई थी। भगवान शिव के रौद्र रूप को ही काल भैरव कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन शिव जी के रौद्र स्वरूप काल भैरव की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है। साथ ही बाबा की कृपा से शत्रुओं से छुटकारा मिलता है।