Edited By Jyoti,Updated: 16 Nov, 2019 11:14 AM
इस महीने (नवंबर) की 19 तारीख यानि मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरव जयंती का पर्व मनाया जाएगा।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
इस महीने (नवंबर) की 19 तारीख यानि मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरव जयंती का पर्व मनाया जाएगा। देश के कई हिस्सों में इस दिन भैरव नाथ की विधि-वत पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान शिव की पावन नगरी में तो पहले इनकी पूजा की जाती है बाद में काशी विश्वनाथ की। क्योंकि मान्यताओं के अनुसार यहां इन्हें भगवान शंकर के रक्षक कहा गया है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जिस व्यक्ति के जीवन में कई से भी प्रगति न हो रही हो व उसके द्वारा किए कामों में उसे असफलता का सामना करना पड़ रहा हो तो भैरव अष्टमी के दिन उसे निम्न दिए गए मंत्र का जाप करना चाहिए। माना जाता है इस तांत्रिक मंत्र का जाप करने से भैरवनाथ प्रसन्न होते हैं और जातक के सभी कष्ट-क्लशे काट देते हैं। आइए जानते हैं इनकी पूजन-विधि के साथ इनके इस चमत्कारी मंत्र के बारे में-
पूजन-
नारद पुराण में कहा गया है कि काल भैरव जयंती के दिन भैरव बाबा के साथ-साथ मां दुर्गा की पूजा का भी विधान है। इसके अलावा इस दिन रात्रि में बाबा काल भैरव एवं माता महाकाली की पूजा भी अत्यंत फलदायी होती है। साथ ही इस दिन बाबा काल भैरव की कृपा पाने के लिए इनको पंच मेवा अर्थात 5 प्रकार के मिष्ठान का भोग, पान या पीपल के पत्ते पर रखकर अर्पित करना चाहिए। बाद में इसी भोग को किसी काले कुत्ते को खिला देना चाहिए। काल भैरव जयंती के दिन बाबा काल भैरव के इस तांत्रिक मंत्र का जप 511 बार करने से अनेक कामनाएं पूरी होती हैं एवं बिगड़े हुए सभी काम स्वयं ही बन जाते हैं।
मंत्र-
ॐ अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्।
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।
काल भैरव से जुड़ी पौराणिक कथा-
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु में भयंकर विवाद हो गया, इन दोनों देवों के विवाद के कारण भगवान शिव शंकर अत्यधिक क्रोधित हो गए। उनके क्रोध से एक अद्भुत शक्ति का जन्म हुआ जिसे काल भैरव कहा गया। शास्त्रों के अनुसार जिस दिन शिव के क्रोध से अंश रूप में बाबा काल भैरव का प्राकट्य हुआ उस दिन मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि थी।