Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 May, 2023 08:18 AM
एक युवक संत कबीरदास के पास जाकर बोला, ‘‘गुरु जी, मैंने अपनी शिक्षा से पर्याप्त ज्ञान ग्रहण कर लिया है। मैं अपना अच्छा-बुरा
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Kabir Das story: एक युवक संत कबीरदास के पास जाकर बोला, ‘‘गुरु जी, मैंने अपनी शिक्षा से पर्याप्त ज्ञान ग्रहण कर लिया है। मैं अपना अच्छा-बुरा अच्छी तरह से समझता हूं। फिर भी मेरे माता-पिता मुझे निरंतर सत्संग सुनने की सलाह देते रहते हैं। आखिर मुझे रोज सत्संग सुनने की क्या जरूरत है ?’’
कबीर ने उसके प्रश्र का मौखिक उत्तर न देते हुए एक हथौड़ा उठाया और पास ही जमीन पर गढ़े एक खूंटे पर जोर से मार दिया। युवक यह देख अनमने भाव से वहां से चला गया।
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें
अगले दिन वह फिर कबीर के पास आया और बोला, ‘‘मैंने आपसे कल एक प्रश्र पूछा था, पर आपने कोई उत्तर नहीं दिया। क्या आज आप उत्तर देंगे ?’’
कबीर ने फिर से खूंटे के ऊपर हथौड़ा मार दिया, पर वह कुछ बोले नहीं। युवक ने सोचा कि संत पुरुष हैं, शायद आज भी मौन में हैं। वह तीसरे दिन फिर आया और अपना प्रश्र दोहराया। कबीर ने फिर से खूंटे पर हथौड़ा चलाया। अब युवक परेशान होकर बोला, ‘‘आखिर आप मेरे प्रश्र का जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं ? मैं तीन दिन से आपसे एक ही प्रश्र पूछ रहा हूं।’’
कबीर ने उसे समझाते हुए कहा, ‘‘मैं तो तुम्हें रोज उस प्रश्न का जवाब दे रहा हूं। मैं इस खूंटे पर हर दिन हथौड़ा मारकर जमीन में इसकी पकड़ को मजबूत कर रहा हूं। यदि मैं ऐसा नहीं करूंगा तो इससे बंधे पशुओं की खींचतान से या किसी की ठोकर लगने से या जमीन में थोड़ी-सी हलचल होने से यह खूंटा निकल जाएगा।’’
यही काम सत्संग हमारे लिए करता है। वह हमारे मन रूपी खूंटे पर निरंतर प्रहार करता है, ताकि हमारी पवित्र भावनाएं दृढ़ होती रहें। अत: सत्संग हमारी दिनचर्या का अनिवार्य अंग होना चाहिए।