Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 May, 2021 06:50 AM
वैसाख माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को भैरव अष्टमी और शीतला अष्टमी के रुप में मनाया जाता है। काल भैरव भगवान शिव का ही रुद्र रुप हैं। इनकी पूजा-आराधना सभी संकटों से बचाती है और व्यक्ति की हर प्रकार से रक्षा करती है।
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Kalashtami May 2021: वैसाख माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को भैरव अष्टमी और शीतला अष्टमी के रुप में मनाया जाता है। काल भैरव भगवान शिव का ही रुद्र रुप हैं। इनकी पूजा-आराधना सभी संकटों से बचाती है और व्यक्ति की हर प्रकार से रक्षा करती है। आज पूरा विश्व एक भयंकर महामारी की चपेट में है। जब भी प्रकृति का संतुलन बिगड़ता है तो इस प्रकार की त्रासदियां अवश्य आती हैं। मां काली महामारी के रुप में अपना प्रकोप दिखाती हैं। आज जहां हर तरफ चिताएं जल रही हैं तो हम सब ये सोचने के लिए मजबूर हैं क्यों ये प्रकृति इतनी प्रलय मचा रही है। ये सब कैसे और कब थमेगा। मां काली के इस रौद्र रुप को अगर कोई थाम सकता है तो वो हैं काल भैरव। भगवान शिव के इस रुप में इतनी क्षमता है की वे हमें हर तरह की अपदा से निकाल सकते हैं और इस महामारी से हमारी रक्षा कर सकते हैं-
आज के दिन बड़े ही सच्चे मन और श्रद्धा भाव से बाबा काल भैरव की अराधना करें। पश्चिचम दिशा में बैठकर उनके्े मंत्रो का उच्चारण करते हुए गाय के उपले जलाएं। उसकमें देसी घी, मखाने लौंग बादाम और पीली सरसों इन सबकी आहुती देते हुए अपने घर परिवार की रक्षा की प्रार्थना करें।
आज के दिन बाब काल भैरव की अराधना करते समय अपने मस्तक पर हल्दी का लेप करना अति शुभ रहेगा
सूरज ढलने से पहले बाबा काल भैरव को कच्चा दूध व अमरती का भोग लगाकर अपने बीमारियों को दूर करने की प्रार्थना करें।
नारियल को काले कपड़े में बांधकर अपने मस्तक से लगाकर बाबा भैरव के श्री चरणों में रखते हुए उनसे अपने सिर पर मंडरा रही बलाएं हरने का वचन लें।
अगर आप मंदिर जाकर कोई भी उपाय नहीं कर सकते हो तो काल भैरव का ध्यान करते हुए दक्ष्णमुखी होकर उनके वाहन कुत्ते को मीठि रोटी अथवा सरसों के तेल में तले हुए गुलगले खिलाएं।
अपने घर के ब्रहम स्थान में बैठकर आज से आरंभ करके प्रतिदिन महामृत्युजंय मंत्र का जाप करें।
अपने घर की छत पर नैऋत्य कोण एक मिट्टी के बर्तन में काले और सफेद तिल समान मात्रा में मिला कर रख दें। ऐसा करने से राहु-केतु के प्रकोप से राहत मिलेगी।
नीलम
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