Edited By Prachi Sharma,Updated: 19 Apr, 2025 03:02 PM
भारत की प्राचीन सनातन परंपराओं में काल भैरव की उपासना एक विशेष स्थान रखती है। काल भैरव को भगवान शिव का रौद्र और रक्षक रूप माना जाता है। वे समय, भय और मृत्यु के अधिपति माने जाते हैं।
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Kalashtami Mantra: भारत की प्राचीन सनातन परंपराओं में काल भैरव की उपासना एक विशेष स्थान रखती है। काल भैरव को भगवान शिव का रौद्र और रक्षक रूप माना जाता है। वे समय, भय और मृत्यु के अधिपति माने जाते हैं। विशेष रूप से कालाष्टमी के दिन काल भैरव की आराधना का अत्यधिक महत्व है।कालाष्टमी के दिन उपासक काल भैरव के निमित्त उपवास रखते हैं, विशेष पूजा करते हैं और रात्रि को जागरण करके मंत्र जाप करते हैं। यह दिन आध्यात्मिक उन्नति, नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा और जीवन में शक्ति प्राप्त करने का एक अद्भुत अवसर होता है। कहा जाता है कि इस दिन भैरव बाबा को प्रसन्न करना अपेक्षाकृत सरल होता है और वे शीघ्र कृपा बरसाते हैं। कालाष्टमी, हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। अप्रैल 2025 में आने वाली कालाष्टमी भक्तों के लिए एक विशेष अवसर लेकर आएगी। 20 अप्रैल को कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन आप कुछ मंत्रों का जाप कर के जीवन की परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं।
April Kalashtami Vrat अप्रैल कालाष्टमी व्रत
ॐ शिवगणाय विद्महे गौरीसुताय धीमहि तन्नो भैरव प्रचोदयात।।
ॐ कालभैरवाय नम:
ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्
धर्मध्वजं शङ्कररूपमेकं शरण्यमित्थं भुवनेषु सिद्धम्।
द्विजेन्द्र पूज्यं विमलं त्रिनेत्रं श्री भैरवं तं शरणं प्रपद्ये।।
ॐ ह्रीं सिद्धिसेविताय नम:
ॐ ह्रीं कंकालाय नम:
ॐ ह्रीं कालशमनाय नम:
ॐ ह्रीं कला-काष्ठा-तनवे नम:
ॐ ह्रीं कवये नम:
ॐ ह्रीं खर्पराशिने नम:
ॐ ह्रीं स्मारान्तकृते नम:
ॐ ह्रीं रक्तपाय नम:

ॐ ह्रीं श्मशानवासिने नम:
ॐ ह्रीं मांसाशिने नम:
ॐ ह्रीं पानपाय नम:
ॐ ह्रीं त्रिनेत्राय नम:
ॐ ह्रीं बहुनेत्राय नम:
ॐ ह्रीं पिंगललोचनाय नम:

काल भैरव की कृपा कैसे प्राप्त करें ?
प्रातः काल स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
घर या मंदिर में काल भैरव की प्रतिमा या चित्र के सामने दीप जलाएं।
काले तिल, सरसों का तेल, गुड़ और काले वस्त्र भेंट करें।
रात्रि के समय विशेष रूप से मंत्र जाप करें।