Edited By Prachi Sharma,Updated: 01 Feb, 2024 07:48 AM
कल्पना चावला की उपलब्धियों से महज महिलाओं को प्रेरणा नहीं मिली, बल्कि भारत के लिए गौरव और विश्व के लिए ऐतिहासिक पल बन गया।एयरोनॉटिक्स के क्षेत्र में योगदान से
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Kalpana Chawla Death Anniversary: कल्पना चावला की उपलब्धियों से महज महिलाओं को प्रेरणा नहीं मिली, बल्कि भारत के लिए गौरव और विश्व के लिए ऐतिहासिक पल बन गया।एयरोनॉटिक्स के क्षेत्र में योगदान से वह कई महिलाओं के लिए आदर्श मॉडल भी हैं।
उनका जन्म हरियाणा के करनाल में 17 मार्च, 1962 को पिता बनारसी लाल और मां संज्योती चावला के घर हुआ। चार भाई-बहनों में सबसे छोटी कल्पना कम उम्र से ही अंतरिक्ष तथा उड़ान भरने के सपने देखने लगी थीं। उनका सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण था - लगन और जुझारू प्रवृत्ति। कल्पना न तो आलसी थीं और न ही असफलता में घबराने वालीं।
बड़े होने पर उन्होंने फ्लाइट इंजीनियर बनने का सपना देखा और इसे पूरा करने के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद 1982 में आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चली गईं। उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद कल्पना ने कमर्शियल पायलट का लाइसेंस लिया और एक सर्टिफाइड फ्लाइट इंस्ट्रक्टर बन गईं।
1993 में कल्पना ने नासा में पहली बार अप्लाई किया लेकिन उनके आवेदन को रिजेक्ट कर दिया गया। 1995 में कल्पना को फिर मौका मिला और इस बार नासा ने अंतरिक्ष यात्री के तौर पर उनका चयन किया। 1998 में कल्पना को अंतरिक्ष में पहली बार उड़ान का मौका मिला। इस दौरान कल्पना ने अंतरिक्ष में 372 घंटे बिताए और अंतरिक्ष में जाने वाली भारत में जन्मी पहली महिला थीं और अंतरिक्ष में उड़ने वाली भारतीय मूल की दूसरी व्यक्ति थीं। इनसे पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत अंतरिक्ष यान में एक उड़ान भरी थी।
वर्ष 2000 में दूसरी स्पेस यात्रा के लिए भी कल्पना का चयन किया गया। 16 जनवरी, 2003 को कोलंबिया फ्लाइट एस.टी.एस. 107 से उन्होंने उड़ान भरी। लगभग 1.06 करोड़ किलोमीटर का सफर तय करने के बाद 1 फरवरी, 2003 को उनका अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूट गया। इस दुर्घटना में कल्पना चावला सहित मिशन में शामिल सातों लोगों की मौत हो गई लेकिन उनकी उपलब्धियों ने उनका नाम हमेशा के लिए अमर कर दिया।