Edited By Niyati Bhandari,Updated: 31 Jul, 2024 06:48 AM
हर साल सावन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन कामिका एकादशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन श्री हरि और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस बार कामिका एकादशी आज 31 जुलाई को मनाई जाएगी।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Kamika Ekadashi 2024: हर साल सावन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन कामिका एकादशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन श्री हरि और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस बार कामिका एकादशी आज 31 जुलाई को मनाई जाएगी। माना जाता है कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं कामिका एकादशी के शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में-
Kamika ekadashi: संसार का हर सुख देगी ये पूजा, पढ़ें कथा
Kamika Ekadashi : कामिका एकादशी पर करें ये उपाय, मनोवांछित फल प्राप्ति के साथ धन आगमन के बनेंगे योग
Kamika Ekadashi 2024 auspicious time कामिका एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 30 जुलाई को शाम 04 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 31 जुलाई को शाम 03 बजकर 55 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, 31 जुलाई को कामिका एकादशी मनाई जाएगी। इस एकादशी व्रत का पारण 1 अगस्त, गुरुवार को सुबह 5 बजकर 43 मिनट से सुबह 8 बजकर 24 के बीच किया जा सकता है।
Significance of Kamika Ekadashi कामिका एकादशी का महत्व
सनातन धर्म में हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन कामिका एकादशी मनाई जाती है। देवशयनी एकादशी के बाद यह पहली एकादशी है, जिसमें वह योग निद्रा में होते हैं। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की अराधना करने से सभी कष्ट मिट जाते हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
Kamika Ekadashi Puja Method कामिका एकादशी पूजा विधि
कामिका एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें।
फिर घर के मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद गंगा जल का छिड़काव करें।
अब एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
इसके बाद विष्णु जी को पीले फूल, फल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें।
शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
अब विष्णु जी का ध्यान करते हुए उनके मंत्रों का जाप करें।
अंत में एकादशी कथा पढ़ने के बाद भगवान विष्णु की आरती करें।