Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Dec, 2024 12:24 PM
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Kandariya Mahadev Temple Khajuraho: एक समय खजुराहो चंदेल राजवंश की राजधानी हुआ करता था। वहां के अधिकतर मंदिरों को चंदेल शासकों ने ही बनवाया था। वहां के प्रमुख मंदिरों में से एक कंदरिया महादेव मंदिर को गंडदेव के पुत्र सम्राट विद्याधर ने बनवाया। माना...
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Kandariya Mahadev Temple Khajuraho: एक समय खजुराहो चंदेल राजवंश की राजधानी हुआ करता था। वहां के अधिकतर मंदिरों को चंदेल शासकों ने ही बनवाया था। वहां के प्रमुख मंदिरों में से एक कंदरिया महादेव मंदिर को गंडदेव के पुत्र सम्राट विद्याधर ने बनवाया। माना जाता है कि यह मंदिर ईस्वी 1025 से 1050 के बीच में बना है। इस मंदिर को विद्याधर ने महमूद गजनी को परास्त करने के बाद बनवाया था। वह शिव भक्त थे और उनका मानना था कि शिव की कृपा से ही उन्होंने महमूद गजनी को परास्त किया है इसलिए उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया।
Why is kandariya Mahadev temple at Khajuraho famous: मंदिर की खास बातें
कंदरिया महादेव मंदिर खजुराहो के पश्चिमी मंदिर समूह का एक प्रमुख मंदिर है। यह इस समूह के सभी मंदिरों में से सबसे बड़ा और सुंदर मंदिर है। मंदिर शिव भगवान को समर्पित है जिसके गर्भ गृह में शिवलिंग विराजमान है। यह शिवलिंग संगमरमर से बना है। मंदिर की दीवारों पर बहुत ही सुंदर नक्काशी की गई है। इस मंदिर को सामने से देखने से ऐसा लगता है, कि जैसे हम किसी गुफा में प्रवेश कर रहे हैं। गुफा को कंदरा भी कहते हैं इसलिए इस का नाम कंदरिया महादेव मंदिर पड़ा। अर्थात कंदरा में रहने वाले शिव।
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Kandariya mahadev temple architecture: सुंदर वास्तुकला
कंदरिया महादेव मंदिर खजुराहो के सबसे सुंदर मंदिरों में से एक है। यह मंदिर संधार शैली और सप्त रथ शैली में बना है। यह खजुराहो का सबसे विकसित मंदिर भी है। इस मंदिर में अर्ध मंडप, मंडप, महामंडप, अंतराल और गर्भ गृह हैं। गर्भ गृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ भी बना है।
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यह मंदिर अति विकसित शैली संयुक्त मध्य भारत में बना अपनी तरह का शानदार मंदिर है। मंदिर ऊंची जगह पर निर्मित है। जिसमें आपको दो तोरण देखने के लिए मिलते हैं। ये मुख्य प्रवेश द्वार पर और मंडप पर लगे हैं। मंदिर की दीवारों पर भी कारीगरी की गई है। मंदिर में आपको एक सुंदर शिखर भी देखने को मिलता है।
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खजुराहो के एक अन्य सुंदर मंदिर लक्ष्मण मंदिर से यह थोड़ी ही दूरी पर स्थित है। इस मंदिर में जाने का रास्ता सुंदर बगीचे से होता हुआ जाता है। इस बगीचे में महुआ के पेड़ भी लगे हैं और जब महुआ के फूल झड़ते हैं, तो पूरी सड़क पर बिछ जाते हैं। यह एक बहुत ही सुंदर नजारा पेश करता है।
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Where is kandariya Mahadev temple is situated: एक ऊंचे चबूतरे पर बने कंदरिया महादेव मंदिर तक जाने के लिए सीड़िया बनी हुई हैं। मंदिर के अंदर जाते ही मंदिर का तोरण देखने के लिए मिलता है जो बहुत ही खूबसूरत और एक ही पत्थर का बना हुआ है। तोरण को शुभ आगमन के प्रतीक के रूप में लगाया जाता है। मंदिर में थोड़ा आगे जाने पर छत में फूलों की नक्काशी देखने के लिए मिलती है, जो बहुत ही आकर्षक लगती है। मंदिर के मंडप पर भी तोरण बना हुआ है, जो प्रवेश द्वार वाले तोरण से छोटा है। अंदर जाते हैं तो एक चबूतरा बना नजर आता है। इसके चारों कोने पर खंबे हैं। इस चबूतरे को अंतराल कहते हैं। प्राचीन समय में यहीं बैठकर पूजा-पाठ किया जाता था।
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खंभों के ऊपर भी सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है। यहां के डिजाइन लक्ष्मण मंदिर के डिजाइन से कुछ अलग हैं। गर्भ गृह जहां शिवलिंग स्थापित है, के प्रवेश द्वार पर देवी-देवताओं की नक्काशी की गई है, जो बहुत ही खूबसूरत है। मंदिर में कोने में आले बनाए गए हैं, जिनमें देवी-देवताओं की प्रतिमाएं बनाई गई हैं। इनमें से बहुत-सी प्रतिमाएं खंडित अवस्था में यहां मौजूद हैं। गर्भ गृह में परिक्रमा करने के लिए परिक्रमा पथ बनाया गया है। यह पथ बाहर के मंदिर और गर्भ गृह को अलग करता है। इस पथ में भी आपको बहुत सारी मूर्तियां देखने को मिलती हैं जो बहुत ही आकर्षक हैं। मंदिर के अंदर घूमने के बाद मंदिर के बाहर आकर वहां बनी मूर्ति कला को देखना भी मोहित कर लेता है।
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Kandariya mahadev temple style: खास है मंदिर की मूर्ति कला
कंदरिया महादेव मंदिर की मूर्तिकला बहुत ही अद्भुत है जहां आपको ढेरों मूर्तियां देखने के लिए मिलती हैं। लक्ष्मण मंदिर के समान ही इस मंदिर में भी बड़ी मूर्तियों की 3 पंक्तियां बनी हुई हैं। यहां भी आपको नीचे की ओर बेल-बूटे तथा हाथी की प्रतिमा नजर आती है। उसके ऊपर आपको एक पतली-सी पट्टी देखने को मिलती है, जिसमें दैनिक जीवन में किए जाने वाले कार्यों को दिखाया गया है। उसके बाद आपको मुख्य मूर्तियां नजर आती हैं जो काफी बड़ी और खूबसूरत हैं। खास बात है कि हर मूर्ति आपको कुछ न कुछ बताती है। कंदरिया महादेव मंदिर में भी सभी मंदिरों के समान ही पहले गणेश जी की मूर्ति बनी हुई है। उसके बाद सुंदरियों और देवदासियों की प्रतिमाएं बनी हैं। इसमें सुंदरियों की प्रतिमाएं अलग-अलग मुद्राओं में बनी हैं। यहां आपको अनेक कामुक प्रतिमाएं भी दिख जाती हैं। इस तरह की प्रतिमाएं भी 3 पंक्तियों में बनाई गई हैं। इनके अलावा यहां नागकन्या की मूर्तियां भी हैं जो दीवार के कोने में हाथ जोड़कर खड़ी हुई हैं। साथ ही चंदेल राजवंश का चिन्ह भी यहां की दीवारों पर उकेरे गए हैं।
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