Edited By Prachi Sharma,Updated: 27 Jul, 2024 06:46 AM
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश द्वारा जारी निर्देशों पर रोक लगाते हुए 22 जुलाई के अपने अंतरिम आदेश को बरकरार रखने का निर्देश दिया, जिसमें
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नई दिल्ली (प.स.): उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश द्वारा जारी निर्देशों पर रोक लगाते हुए 22 जुलाई के अपने अंतरिम आदेश को बरकरार रखने का निर्देश दिया, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्गों पर स्थित भोजनालयों को मालिकों, कर्मचारियों के नाम और अन्य विवरण प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था।
न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने कहा कि वह 22 जुलाई के आदेश पर कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं करेगी, क्योंकि “हमने अपने 22 जुलाई के आदेश में जो कुछ कहा जाना था, वह कह दिया है। हम किसी को नाम उजागर करने के लिए बाध्य नहीं कर सकते।”
पीठ ने मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों से उनके संबंधित निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने को कहा। पीठ ने याचिकाकर्त्ताओं को राज्य सरकारों के जवाबों पर प्रत्युत्तर दाखिल करने की अनुमति दी और मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त के लिए तय की।
अपने जवाब में उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को उनके मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश का बचाव करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य पारदर्शिता लाना, ‘संभावित भ्रम’ से बचना और शांतिपूर्ण यात्रा सुनिश्चित करना है।
विवाद के बाद मस्जिद, मजारों के आगे से पर्दे हटाए
हरिद्वार: कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाली मस्जिदों और मजारों को पर्दों से ढके जाने से शुरू हुए विवाद के बाद हरिद्वार जिला प्रशासन ने कुछ घंटों के बाद ही उन्हें उतारना शुरू कर दिया। हालांकि, यात्रा मार्ग पर शराब की दुकानों के आगे लगाए गए पर्दों को नहीं हटाया गया है। शराब की दुकानों के बाहर भी इस बार पहली बार पर्दे लगाए गए हैं।
हिंदुओं की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा की इस वर्ष शुरुआत विवादों के साथ हुई जहां उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकारों ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटल और ढाबा संचालकों को अपने नाम और पते वाले ‘साइनबोर्ड’ लगाने का आदेश दिया।