Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Apr, 2021 07:48 AM
कन्या पूजन का विधान नवरात्रि के अंत में बड़ी ही श्रद्धा भाव से किया जाता है। 2 वर्ष से लेकर 9 वर्ष तक कि कन्याओं का पूजन करना शास्त्रों में वर्णित है। इसके अलावा भी कन्या अथवा स्त्री जाति को शक्ति का ही रूप माना जाता है। बाकी दिनों में भी शक्ति
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Navratri Kanya Pujan 2021- कन्या पूजन का विधान नवरात्रि के अंत में बड़ी ही श्रद्धा भाव से किया जाता है। 2 वर्ष से लेकर 9 वर्ष तक कि कन्याओं का पूजन करना शास्त्रों में वर्णित है। इसके अलावा भी कन्या अथवा स्त्री जाति को शक्ति का ही रूप माना जाता है। बाकी दिनों में भी शक्ति का सम्मान करना ही चाहिए। बाल रूप सबसे निश्छल और निर्मल होता है इसलिए माता के प्रतिबिंब को कन्याओं के रूप में पूजना अति शुभ होता है। कन्या पूजन के एक दिन पहले आपको कन्याओं को भोजन के लिए आदर सहित आमंत्रित करना चाहिए। कन्या भोज के बाद ही आपके व्रत को सफल माना जाता है। अगर आपके घर आज के दिन कुछ खास प्रकार की कन्याएं आएं तो समझिए मां की कृपा आप पर बनी हुई है। आपके घर को वह हर प्रकार की मुसीबत से रक्षा करेंगी।
आज के दिन अगर बिना आमंत्रित किए कन्या आपके द्वार आए तो उसे पूरे श्रद्धा भाव से घर में स्वागत कर भोजन कराएं और दक्षिणा देकर विदा करें।
चरण धोते समय अगर किसी कन्या के पांव में अल्ता लगा हो उसके पांव की छाप आपके घर पड़े तो अत्यंत ही शुभ संकेत है। आपके घर धन-धान्य की कभी भी कमी नहीं आएगी।
अगर कोई अपने साथ और कन्याओं को लेकर आपके घर आए और साथ में कोई बालक भी हो तो यह भी शुभ सूचक है।
अति श्याम वर्ण की कन्या का आना मां कालरात्रि के रूप का प्रतीक है। आपको बड़े भक्ति भाव से ऐसी कन्या का पूजन करना चाहिए।
घर से विदा होते समय अगर देवी के ये रूप आपको आशीर्वाद दे कर जाएं और पीछे मुड़ कर फिर आने का वचन दें तो जानिए की आपसे देवी अत्यंत प्रसन्न हैं।
यूं तो भक्ति और श्रद्धा में निर्मल मन के होने से आपके किए हर कार्य से मां प्रसन्न होती हैं परन्तु आज के दिन विनम्रता और प्रेम से मां दुर्गा के नौ रूपों को निस्वार्थ भाव से भोजन कराने से कई जन्मों के संताप कट जाते हैं।
आज के दिन घर की बेटी और बहुओं का भी उतना ही सम्मान करें। अगर घर की बेटी इस दिन घर आए तो उन्हें भी भोजन कराकर दक्षिणा देकर विदा करें।
नीलम
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