Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Oct, 2024 11:42 AM
भारत में नवरात्रि के दौरान कन्या पूजा खास महत्व रखती है। यह पूजा न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह समाज में नारी के प्रति सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक भी है। इस पूजा में 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को
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Kanya Pujan on Ashtami or Navami 2024: भारत में नवरात्रि के दौरान कन्या पूजा खास महत्व रखती है। यह पूजा न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह समाज में नारी के प्रति सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक भी है। इस पूजा में 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को देवी का रूप मानकर पूजा जाता है। कन्या पूजा का आयोजन नवरात्रि की अष्टमी और नवमी को दशहरा या विजयदशमी से पहले किया जाता है। इस दिन लोग कन्याओं को अपने घर आमंत्रित करते हैं और उन्हें अच्छे कपड़े, आभूषण तथा भोजन में स्वादिष्ट व्यंजन प्रदान करते हैं। अक्सर हलवा, चना और पूड़ी का विशेष प्रावधान होता है। इस दिन कन्याओं के पांव धोकर उन्हें पूजा स्थल पर बैठाया जाता है, जहां उन्हें बिठाकर पूजते हैं और उनका आशीर्वाद लिया जाता है।
Kanya pooja procedure 9 देवियों के रूप में 9 कन्याएं
शास्त्रों में कहा गया है कि 9 देवियों के रूप में अष्टमी या नवमी के दिन व्रत का पारायण करने से पहले 9 कन्याओं का पूजन करना चाहिए। ये कन्याएं 9 देवियों का ही रूप हैं। हर कन्या एक देवी का रूप है जिसका पूजन करते हुए उपासक परोक्ष रूप से उस देवी का ही पूजन करता है।
Kanya Puja age: इसमें 2 साल की बच्ची कुमारी, 3 साल की त्रिमूर्ति, 4 साल की कल्याणी, 5 साल की रोहिणी, 6 साल की कालिका, 7 साल की चंडिका, 8 साल की शाम्भवी, 9 साल की दुर्गा और 10 साल की कन्या सुभद्रा का स्वरूप होती हैं।
जरूरी नहीं कि 9 ही कन्याएं पूजन के लिए आएं अगर ज्यादा कन्याएं आ गई हैं तो उनका भी विधिवत पूजन करें और प्रसाद वितरित करें। अगर कन्याओं की संख्या ज्यादा न हो पाए तो भी चिंता न करें, केवल 2 कन्याओं को पूजने से भी व्रत का परायण हो सकता है।
Kanya Puja benefits: कन्या पूजन केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह समाज में जागरूकता फैलाने और नारी के सम्मान को बढ़ाने का एक साधन भी है। इस प्रकार कन्या पूजन भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो नारीत्व का सम्मान और उसे प्रोत्साहित करने का संदेश देती है।
कन्या पूजन समाज में कन्याओं की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है। यह हमें याद दिलाती है कि हर कन्या में देवी का वास होता है और उन्हें समान सम्मान एवं प्रेम मिलना चाहिए। इसके साथ ही, कन्या पूजन से समाज में लिंग भेद को समाप्त करने और कन्याओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में भी मदद मिलती है।