Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Oct, 2024 11:32 AM
Karwa chauth 2024: पति के सुख-सौभाग्य के लिए रखा जाने वाला करवाचौथ व्रत उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में मुख्य रूप से मनाए जाने के साथ ही भारत के अन्य कई राज्यों में भी मनाया जाता है। कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सौभाग्यवती...
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Karwa chauth 2024: पति के सुख-सौभाग्य के लिए रखा जाने वाला करवाचौथ व्रत उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में मुख्य रूप से मनाए जाने के साथ ही भारत के अन्य कई राज्यों में भी मनाया जाता है। कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु की कामना हेतु करवाचौथ का व्रत रखती हैं। इस व्रत में भगवान शिव, माता पार्वती, श्री गणेश, श्री कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा का विधान है।
Karwa chauth 2024 puja vidhi करने की विधि :
सूर्योदय से पूर्व : सुबह सूर्योदय से पूर्व अर्थात तारों की छांव में सुहागिनें स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर सरगी खाती हैं, जो उन्हें उनकी सास द्वारा भेंट की जाती है। सरगी में मिठाई, फल व सेवइयों के साथ श्रृंगार का सामान भी होता है। संकल्प लेते हुए सुहागिनें यह मंत्र बोलती हैं-
मम् सुख-सौभाग्य पुत्र पौत्रादि सुस्थिर, श्री प्राप्तयै करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।
सरगी खाने के बाद करवाचौथ का निर्जल व्रत आरंभ होता है।
सायंकाल को कथावाचन और थाली बंटाना: शाम को एक नियत समय पर सभी स्त्रियां सोलह श्रृंगार कर एक खुले स्थान पर एकत्रित होती हैं। उनके हाथों में सजी थाली में मीठी व फीकी मट्ठियां, नारियल, फल, कपड़े व शगुन रखा होता है और साथ में पानी से भरी एक गड़वी होती है, जिसमें थोड़े से कच्चे चावल व चीनी के दाने होते हैं। सभी सुहागिनों को कोई बड़ी-बूढ़ी महिला या मंदिर का पुजारी करवा चौथ व्रत की कथा सुनाता है। इसके बाद थालियां बंटाने की रस्म शुरू हो जाती है। इसे करवा खेलना भी कहते हैं।
Karva chauth puja karne ki vidhi: सभी स्त्रियां गोल दायरे में बैठ जाती हैं और अपनी थाली में शुद्ध घी की जोत जलाकर अपनी-अपनी थाली पंक्ति में एक-दूसरे को पकड़ाती जाती हैं और जब उनकी थाली उनके हाथों में आ जाती है तो एक चक्कर पूरा होता है। इस तरह से सभी सात बार थाली बंटाते हुए यह गीत गाती हैं-
वीरा कुडि़ए करवड़ा, सर्व सुहागन करवड़ा,
ए कटी न अटेरीं न, खुंब चरखड़ा फेरीं ना,
ग्वांड पैर पाईं ना, सुई च धागा फेरीं ना,
रुठड़ा मनाईं ना, सुतड़ा जगाईं ना,
बहन प्यारी वीरां, चंद चढ़े ते पानी पीना,
लै वीरां कुडि़ए करवड़ा, लै सर्व सुहागिन करवड़ा।
इसके बाद वे थाली में रखा सामान जिसे ‘बया’ कहते हैं अपनी सास को दे देती हैं व चरण छूकर उनका आशीर्वाद लेती हैं। रात को चन्द्र दर्शन के बाद चन्द्रमा को अर्ध्य दें। फिर अपने जीवनसाथी के हाथ से जल ग्रहण करें। इस विधि से व्रत संपूर्ण होता है।