Karwa chauth: करवा चौथ पर बन रहे हैं कई शुभ संयोग, इस विधि से रखें व्रत

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Oct, 2022 07:58 AM

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करवा चौथ का व्रत पूरे देश में सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही खास माना जाता है और दांपत्य जीवन के लिए भी बहुत महत्व रखता है। हिंदू धर्म में इस व्रत को बेहद महत्वपूर्ण समझा जाता है। बहुत सी कुंवारी

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Karwa Chauth 2022: करवा चौथ का व्रत पूरे देश में सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही खास माना जाता है और दांपत्य जीवन के लिए भी बहुत महत्व रखता है। हिंदू धर्म में इस व्रत को बेहद महत्वपूर्ण समझा जाता है। बहुत सी कुंवारी लड़कियां भी मनचाहा वर व अच्छा पति पाने के लिए यह व्रत रखती हैं। करवा चौथ के व्रत को सबसे महत्वपूर्ण व सबसे कठिन व्रतों में से एक माना गया है। सुहागन स्त्रियां पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से करवा चौथ का व्रत रखकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।

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Karwa chauth shubh muhurat 2022: इस साल करवाचौथ 13 अक्टूबर के दिन पड़ रहा है। इस दिन खास संयोग भी बनने जा रहा है। 13 अक्टूबर की शाम को शाम 6 बजकर 41 मिनट तक कृतिका नक्षत्र रहने वाला है, जिसके बाद रोहिनी नक्षत्र आरंभ होगा। करवाचौथ के दिन चंद्र देव अपनी उच्च वृष राशि में संचार करेंगे साथ ही दोपहर 1.55 मिनट तक सिद्ध योग की स्थिति रहेगी। ग्रह-नक्षत्रों का ये विशेष संयोग करवा चौथ व्रत को बेहद खास बना रहा है और व्रत रखने वाली सुहागिनों के लिए भी अच्छा साबित होगा।

करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 54 मिनट से सुबह 05 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 1 मिनट से लेकर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। अमृत काल शाम 4 बजकर 8 मिनट से 5 बजकर 50 मिनट कर रहेगा। 13 अक्टूबर के दिन 5 बजकर 54 मिनट से 7 बजकर 9 मिनट तक का समय करवाचौथ पूजा के लिए शुभ माना जा रहा है। इसके बाद चंद्रोदय होने पर महिलाएं पति के साथ पूजा करके अपना व्रत तोड़ पाएंगी।

करवा चौथ व्रत समय- सुबह 06 बजकर 32 मिनट से रात 08 बजकर 48 मिनट तक है।

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Karwa Chauth 2022 puja vidhi करवा चौथ की पूजा विधि- करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले उठ कर स्नान करें। फिर सास द्वारा दिया हुआ भोजन करें और निर्जला व्रत का संकल्प लें। यह व्रत सूर्य अस्त होने के बाद चन्द्रमा के दर्शन करके ही खोलना चाहिए और बीच में जल भी नहीं पीना चाहिए। संध्या के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें। इसमें 10 से 13 करवे (यानि करवा चौथ के लिए खास मिट्टी के कलश) रखें। चन्द्रमा निकलने से लगभग एक घंटे पहले पूजा शुरू की जानी चाहिए। अच्छा हो कि परिवार की सभी महिलाएं साथ में मिलकर पूजा करें। पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा सुनें या सुनाएं। चन्द्र दर्शन छलनी के द्वारा किया जाना चाहिए और साथ ही दर्शन के समय अर्घ्य के साथ चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए। चन्द्र-दर्शन के बाद बहू अपनी सास को थाली में सजाकर मिष्ठान, फल, मेवे, रूपए आदि देकर उनका आशीर्वाद लें।

गुरमीत बेदी
 9418033344 

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