Edited By Prachi Sharma,Updated: 19 Apr, 2025 03:08 PM
भारत में देवभूमि उत्तराखंड विशेष रूप से धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां स्थित चारधामों में से एक है केदारनाथ धाम, जो भगवान शिव को समर्पित है
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Kedarnath Doli Yatra: भारत में देवभूमि उत्तराखंड विशेष रूप से धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां स्थित चारधामों में से एक है केदारनाथ धाम, जो भगवान शिव को समर्पित है और हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। केदारनाथ धाम वर्षभर बर्फ से ढका रहता है और सर्दियों में यह स्थल आम लोगों के लिए बंद रहता है। हर साल शुभ अवसर पर जब केदारनाथ के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं, उससे पहले भगवान केदारनाथ की डोली यात्रा निकाली जाती है। यह डोली यात्रा सिर्फ एक धार्मिक परंपरा ही नहीं बल्कि श्रद्धा, संस्कृति और प्रकृति के संगम का जीवंत प्रतीक भी है।
What is Doli Yatra डोली यात्रा क्या है ?
केदारनाथ धाम के कपाट खुलने से पहले भगवान केदारनाथ की पंचमुखी प्रतिमा को उखीमठ से केदारनाथ मंदिर तक भव्य डोली यात्रा के माध्यम से लाया जाता है। यह यात्रा पारंपरिक ढोल-दमाऊं, भजनों और मंत्रोच्चार के साथ शुरू होती है और मार्ग में विभिन्न पड़ावों पर रुकते हुए भक्तों को दर्शन देती है। यात्रा आमतौर पर 4 से 5 दिनों की होती है और यह गुप्तकाशी, फाटा, गौरीकुंड होते हुए केदारनाथ पहुंचती है।
When will the doors of Kedarnath temple open केदारनाथ मंदिर के कपाट कब खुलेंगे
वर्ष 2025 में केदारनाथ के कपाट 2 मई 2025 को खोले जाएंगे। इससे पहले गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट 30 अप्रैल को खुलेंगे। बद्रीनाथ के द्वार 4 मई 2025 को खुलेंगे।
Spiritual significance of Doli Yatra डोली यात्रा का आध्यात्मिक महत्व
यह यात्रा भक्ति, सेवा और आत्मसमर्पण का प्रतीक मानी जाती है। भक्त जन यात्रा में शामिल होकर स्वयं को भगवान की सेवा में समर्पित करते हैं।
यह यात्रा भगवान शिव के हिमालय लौटने का प्रतीक है, जहां वे छह महीने निवास करते हैं। इसे शिव के उत्तराखंड में पुनः अवतरण के रूप में देखा जाता है।
यात्रा के दौरान प्राकृतिक सौंदर्य के दर्शन होते हैं, जो श्रद्धालुओं को अध्यात्म और प्रकृति के निकट ले जाता है।
Cultural and social significance सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व
डोली यात्रा में लोक गीत, नृत्य, वाद्य यंत्रों की ध्वनि और पारंपरिक परिधानों में सजधज कर लोग शामिल होते हैं। इससे उत्तराखंड की लोकसंस्कृति का सुंदर प्रदर्शन होता है।
यह यात्रा स्थानीय ग्रामीणों, तीर्थ पुरोहितों, प्रशासनिक दलों और स्वयंसेवकों के सहयोग से संचालित होती है, जिससे सामूहिक भावना को बल मिलता है।
यह यात्रा धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देती है और स्थानीय लोगों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत बनती है।