Edited By Prachi Sharma,Updated: 12 Jan, 2025 07:29 AM
वीर अश्वपति के छोटे से राज्य से भी कोई टक्कर लेने की हिम्मत नहीं कर पाता था। प्रतापी सम्राट पोरस से युद्ध करने के बाद सिकंदर की सेना ने आगे बढ़ने से इंकार कर दिया।
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King Ashvapati Story: वीर अश्वपति के छोटे से राज्य से भी कोई टक्कर लेने की हिम्मत नहीं कर पाता था। प्रतापी सम्राट पोरस से युद्ध करने के बाद सिकंदर की सेना ने आगे बढ़ने से इंकार कर दिया। सिकंदर ने अश्वपति की वीरता की गाथाएं सुन रखी थी। उसके सिपाही भी हिम्मत हार चुके थे इसीलिए उसने छल से रात में अश्वपति पर आक्रमण कर दिया।
महाराज अश्वपति बंदी बना लिए गए। सिकंदर ने अश्वपति के शौर्य की परीक्षा लेने के इरादे से उसे बंधनमुक्त कर दिया और संधि कर ली। इस खुशी में दोनों नरेशों का एक सम्मिलित दरबार आयोजित किया गया। अश्वपति अपने खूंखार लड़ाके कुत्तों के लिए विख्यात थे। वह अपने पास हमेशा चार कुत्ते रखते थे। जब वह दरबार में पहुंचे तब कुत्ते भी उनके साथ थे।
सिकंदर ने उनके पहुंचते ही व्यंग्य किया “महाराज, ये भारतीय कुत्ते हैं ?” अश्वपति ने तुरन्त उत्तर दिया, “हां, ये छिपकर आक्रमण नहीं करते, शेरों से भी मैदान में लड़ते हैं।”
सिकंदर ने शेर और कुत्तों की लड़ाई के आयोजन का निर्देश दिया। शेर और दो कुत्तों की लड़ाई छिड़ गई। शेर ने कुत्तों को लहुलूहान कर दिया। शेष दो कुत्ते भी छोड़ दिए गए।
कुत्तों ने ऐसे दांत चुभाए कि शेर वहीं गिर पड़ा। अश्वपति ने ललकार कर कहा, “आपकी सेना में कोई वीर है, जो कुत्तों को शेर से अलग कर दे ?”
कई योद्धा आए पर वे कुत्तों के दांत न छुड़ा सके। अश्वपति ने अपने अंगरक्षक को संकेत दिया। उसके एक ही झटके में शेर की हड्डी और मांस सहित कुत्ता भी खिंच गया। अश्वपति कभी झुके नहीं। उन्होंने महान योद्धा सिकंदर तक को झुकने पर मजबूर कर दिया।