Edited By Prachi Sharma,Updated: 24 Aug, 2024 06:00 AM
हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के पर्व को बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन ब्रज की एक-एक गली श्री कृष्ण के प्रेम रंग में रंगी होती है। कुछ ही दिनों में ये
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Krishna Janmashtami: हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के पर्व को बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन ब्रज की एक-एक गली श्री कृष्ण के प्रेम रंग में रंगी होती है। कुछ ही दिनों में ये पावन पर्व आने ही वाला है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। श्री कृष्ण को तुलसी बहुत ही प्रिय है। इसके बिना उनका भोग अधूरा माना जाता है। जन्माष्टमी के दिन यदि तुलसी से जुड़े कुछ उपाय कर लिए जाए तो जीवन में खुशियों को आने से कोई नहीं रोक सकता है। तो चलिए ज्यादा देर न करते हुए जानते हैं कि इस दिन तुलसी से जुड़े कौन से उपाय करने चाहिए।
Tulsi remedies on Janmashtami जन्माष्टमी पर तुलसी के उपाय
सबसे पहले तो जन्माष्टमी के दिन तुलसी के पौधे की पूजा करनी चाहिए। उसके बाद तुलसी के सामने बैठकर श्री कृष्ण के नामों का जाप करें। भगवान श्रीकृष्ण के चार नाम- गोपाल, गोविंद, देवकीनंदन, और दामोदर। ऐसा करने से जीवन के समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है।
आर्थिक दशा को मजबूत करने के लिए पूजा के दौरान कान्हा जी को माखन का भोग लगाएं लेकिन उसमें तुलसी के पत्ते डालना न भूलें। ऐसा करने से जल्द ही आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।
बहुत मेहनत करने के बाद भी फल नहीं मिल पा रहा तो जन्माष्टमी के दिन मां तुलसी को लाल रंग की चुनरी अर्पित करें। ऐसा करने से रुका हुआ कारोबार या फिर कार्यक्षेत्र में रुकी हुई प्रमोशन आपको मिल जाएगी।
इस दिन तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाएं और उनकी 11 बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से आपके घर और जीवन से नकारात्मकता खत्म हो जाएगी।
यदि आपका वैवाहिक जीवन खराब चल रहा है तो इस दिन घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाएं। ऐसा करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम प्यार बना रहता है।
इन चीजों का लगाएं भोग
इसके अलावा यदि आप जन्माष्टमी के दौरान श्री कृष्ण को उनकी प्रिय चीज का भोग लगाते हैं तो जल्द ही मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। कान्हा जी को खीर, धनिया की पंजीरी, माखन मिश्री, चरणामृत आदि का भोग जरूर लगाएं। इस बात के बेहद ख्याल रखें कि हर चीज में तुलसी अवश्य डालें। भोग लगाते समय इस मंत्र का जाप करने से भगवान जल्द ही भोग ग्रहण करते हैं -
मंत्र: त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।'