Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Nov, 2024 09:04 AM
Story of Kubera: आप अपने जीवन में कितना धन कमाएंगे इसका फैसला भी आपकी कुंडली में स्थित वह ग्रह करते हैं, जो धन योग से सम्बन्ध रखते हैं। यदि धन योग का निर्माण करने वाले ग्रह खराब घरों में अथवा खराब अवस्था में होते हैं तो वह अपने कार्य को पूरा नहीं कर...
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Story of Kubera: आप अपने जीवन में कितना धन कमाएंगे इसका फैसला भी आपकी कुंडली में स्थित वह ग्रह करते हैं, जो धन योग से सम्बन्ध रखते हैं। यदि धन योग का निर्माण करने वाले ग्रह खराब घरों में अथवा खराब अवस्था में होते हैं तो वह अपने कार्य को पूरा नहीं कर सकते।
फलस्वरूप जातक धनवान होने की बजाए गरीबी की जिन्दगी प्राप्त करता है, ग्रहों की स्थिति यदि ज्यादा खराब हो तो जातक के ऊपर जीवन भर कर्ज रहता है और वह जीवन भर कर्ज में डूबा रहता है और यही कारण है की हर जातक जो मेहनत करता है धनवान नहीं होता क्योंकि धनवान होने के लिए कुंडली में अच्छे धन योगों का होना अनिवार्य है और उन ग्रहों से सम्बंधित दशा और अंतर दशाओं का होना भी आवश्यक है।
भगवान शिव और कुबेर के बीच संबंध हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भगवान शिव जो त्रिदेवों में से एक हैं और महादेव के रूप में पूजे जाते हैं, उनकी महिमा और शक्ति अद्वितीय है। कुबेर, जो धन और समृद्धि के देवता हैं, उन्हें लक्ष्मी के पति और धन के संरक्षक के रूप में जाना जाता है।
कथाओं के अनुसार, भगवान शिव और कुबेर के बीच संबंध एक पौराणिक कहानी पर आधारित है जिसमें शिव ने कुबेर को उनके धन और ऐश्वर्य की कृपा से संपन्न किया था। कुबेर के धन का स्रोत हिमालय की पर्वत श्रृंखला में स्थित उनके निवास स्थान, अलकापुरी से है, जो भगवान शिव के निवास कैलाश पर्वत के समीप स्थित है। इस प्रकार, दोनों देवता एक ही क्षेत्र में निवास करते हैं और इसलिए उनके बीच संबंध भी गहरा है।
How did Kubera become the owner of wealth despite being a thief चोर होने पर भी कुबेर कैसे बने धन के स्वामी- कुबेर पूर्व जन्म में इतने बड़े चोर थे की मंदिरों में भी चोरी करने से गुरेज नहीं करते थे। एक समय वह चोरी करने के लिए शिवालय में गए। उस मंदिर में बहुमूल्य खजाना था। रात में अंधेरा होने के कारण उन्हें खजाना मिल नहीं रहा था।
कुबेर ने खजाना खोजने के लिए दीप जलाया लेकिन मंदिर के झरोखों से तेज हवा के आने से दीप बुझ गया। यह क्रम बहुत बार चला तो भगवान भोलेनाथ ने अपने भोलेपन के कारण इसे दीप उपासना समझ लिया और खुश होकर अगले जन्म में कुबेर को सारे संसार के धन का स्वामी बना दिया।