Breaking




श्री कृष्ण की कुलदेवी हिन्दुस्तान पर हमला करने वालों को समुद्र में डुबो देती थी, पढ़ें रोचक कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Apr, 2025 08:06 AM

kuldevi of lord krishna

Kuldevi of Lord Krishna: भगवान शिव से वरदान प्राप्त कर जब शंखासुर लोगों पर अन्याय करने लगा तब द्वारकापुर के निवासी द्वारकाधीश भगवान श्री कृष्ण की शरण में आए। उन्होंने शंखासुर से बचाने की प्रार्थना की। श्री कृष्ण को मालूम था कि जब-जब असुरों का त्रास...

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Kuldevi of Lord Krishna: भगवान शिव से वरदान प्राप्त कर जब शंखासुर लोगों पर अन्याय करने लगा तब द्वारकापुर के निवासी द्वारकाधीश भगवान श्री कृष्ण की शरण में आए। उन्होंने शंखासुर से बचाने की प्रार्थना की। श्री कृष्ण को मालूम था कि जब-जब असुरों का त्रास बढ़ा, उस समय माता जी ने उन्हें खत्म किया। 

Kuldevi of Lord Krishna

श्री कृष्ण ने अपनी कुलदेवी ‘हरसिद्धि मां’ की अपनी सभी पटरानियों के साथे विधिवत पूजा की। मां प्रसन्न होकर बोली- क्या वरदान चाहते हो। श्री कृष्ण ने कहा कि मां मुझे शंखासुर का वध करना है। वह लोगों पर अत्याचार कर समुद्र पार चला जाता है। 

मां ने कहा- ठीक है तुम अपनी सेना लेकर आओ। मैं तुम्हारे बल्लम पर कोयल बन कर बैठूंगी। श्री कृष्ण अपने 56 करोड़ यादवों के साथ समुद्र किनारे पहुंचे। मां हरसिद्धि देवी कोयल का रूप पकड़ कर श्री कृष्ण के बल्लम पर बैठ गई। मां की कृपा से सारी सेना समुद्र पार हुई। श्री कृष्ण ने शंखासुर का वध किया। 

Kuldevi of Lord Krishna

द्वारका पुरी से 14 किलोमीटर दूर सौराष्ट्र के ओखा मंडल में मिलनपुर (मियाणी) गांव है, जहां श्री कृष्ण की कुल देवी हरसिद्धि माता का मंदिर है। जिस जगह मां कोयल का रूप पकड़ कर श्री कृष्ण के बल्लम पर बैठी थी, उसे कोपला कहा जाता है। समुद्र के किनारे कोपला पहाड़ी पर हरसिद्धि मां का मंदिर है। 

कहते हैं जब भी किसी विदेशी आक्रांता का जहाज हिन्दुस्तान पर हमला करने के लिए वहां से गुजरता तो देवी उसे समुद्र में डुबो देती थी।

Kuldevi of Lord Krishna

प्रचलित कथा के अनुसार, मिलनपुर के राजपूत राजा की सात रानियों में एक रानी प्रभावती हरसिद्धि मां की भक्त थी। सभी रानियां नवरात्रि के समय नौ दिन व्रत तथा रात को मां का जागरण के लिए रास गरबा किया करती थीं। एक दिन मां को गरबा की ध्वनि सुनाई पड़ी। हरसिद्धि मां एक सुंदर स्त्री के वेश में उनके साथ गरबा खेलने लगीं। प्रभावती का पति प्रभात सेन झरोखे में बैठ कर सोचने लगा कि यह 8वीं स्त्री कौन है? वह उस पर मोहित हो गया।

Kuldevi of Lord Krishna

रास के बाद जब देवी जाने लगी तो उसने रास्ता रोक कर अपनी गंदी भावना व्यक्त की। मां ने जब खड्ग निकाला तो वह पैर पकड़कर गिड़गिड़ाने लगा और जीवनदान मांगा। मां ने कहा कि तुझे सजा के तौर पर मेरा भक्ष्य बनना होगा। वह सवा पहर दिन बीतने पर मंदिर पहुंचता और खौलने वाले तेल की कहाड़ी में बैठ जाता। जब वह तल कर तैयार होता तो मां उसका भक्षण करती तथा फिर उसे इंसान बनाकर उसके घर भेज देती। 

Kuldevi of Lord Krishna

एक दिन उसका मौसेरा भाई विक्रमादित्य, जिसने (संवत) की शुरूआत की थी, मियानी पहुंचा। दोनों भाई मिले, हाल चाल में प्रभात सेन ने अपनी आपबीती सुनाई। दूसरे दिन वीर विक्रम प्रभात सेन की ड्रैस पहन कर सुगंधित तेल लगाकर कहाड़ी में बैठ गया। मां ने उसका भक्षण करने के बाद पूछा कि आपने ऐसा क्यों किया, उसने कहा- मां मेरे भाई को मुक्ति दे दो। 

Kuldevi of Lord Krishna

मां प्रसन्न हुई। विक्रमादित्य ने कहा मां मैं आपकी सेवा करना चाहता हूं। उज्जैन का मालवा प्रदेश आपके आने से पवित्र हो जाएगा। मां ने कहा कि मैं 7 वर्ष की कन्या बनकर आपके घोड़े के पीछे-पीछे चलूंगी। शर्त यह है कि पीछे मुड़कर मत देखना। आप जहां पीछे मुड़े मैं वहीं रह जाऊंगी। जब विक्रमादित्य क्षिप्रा नदी के तट पर पहुंचा तो पीछे मुड़कर देखा कि वह आ रही है कि नहीं। देवी ने कहा तुमने अपना वायदा तोड़ दिया। 

Kuldevi of Lord Krishna

अब मैं यहां से नहीं जाऊंगी। देवी सवा पहर रात बीते पहुंची थे। इसलिए वहां के मंदिर में रात को तथा कोपला में दिन को हरसिद्धि मां की पूजा होती है।

Kuldevi of Lord Krishna

Let's Play Games

Game 1
Game 2
Game 3
Game 4
Game 5
Game 6
Game 7
Game 8

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!