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Kuldevi Puja: शास्त्रों के अनुसार जानें, किस दिन करनी चाहिए कुलदेवी की पूजा ?

Edited By Prachi Sharma,Updated: 02 Apr, 2025 12:38 PM

kuldevi puja

कुलदेवी की पूजा भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखती है। यह पूजा व्यक्ति और उसके परिवार के लिए सामूहिक आशीर्वाद, सुख-शांति, समृद्धि और सुरक्षा का माध्यम मानी जाती है।

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Kuldevi Puja: कुलदेवी की पूजा भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखती है। यह पूजा व्यक्ति और उसके परिवार के लिए सामूहिक आशीर्वाद, सुख-शांति, समृद्धि और सुरक्षा का माध्यम मानी जाती है। कुलदेवी का विशेष स्थान होता है क्योंकि वह परिवार के रक्षाकवच के रूप में मानी जाती हैं और परिवार के सभी सदस्य उनकी कृपा से अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं में सफलता प्राप्त करते हैं।

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कुलदेवी की पूजा का महत्व
कुलदेवी किसी विशेष परिवार, समुदाय या जाति की देवी मानी जाती हैं। यह देवी किसी स्थान, गांव या कबीले की संरक्षिका हो सकती हैं और उनका पूजन परिवार के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। भारतीय परंपरा में कुलदेवी की पूजा पारिवारिक समृद्धि, संतान सुख, और परिवार के स्वास्थ्य को लेकर की जाती है। साथ ही, कुलदेवी के आशीर्वाद से परिवार में कोई भी बुरा समय नहीं आता और हर कार्य में सफलता मिलती है। कुलदेवी की पूजा से परिवार में आपसी मेलजोल और एकता भी बढ़ती है। यह पूजा परिवार के सभी सदस्यों को एकजुट करने का काम करती है। कुलदेवी का पूजन खासकर उन स्थानों पर किया जाता है जहां देवी का मन्दिर हो या परिवार के पूर्वजों ने किसी खास स्थान पर देवी के चरणों में श्रद्धांजलि अर्पित की हो।

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पूजा का समय और दिन

नवरात्रि- नवरात्रि का समय विशेष रूप से कुलदेवी की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है। यह पूजा देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है, जो कुलदेवी के रूप में भी की जा सकती है। नवरात्रि के दौरान कुलदेवी का पूजन परिवार के लिए अत्यंत शुभ रहता है क्योंकि यह समय देवी के आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे अच्छा अवसर होता है।

सप्ताह के विशेष दिन- कुछ परिवारों में सप्ताह के विशेष दिनों में कुलदेवी की पूजा की परंपरा होती है। जैसे कि मंगलवार, शनिवार, या रविवार। कुछ स्थानों पर रविवार को ही विशेष पूजा होती है, जबकि कहीं-कहीं मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से शक्ति की पूजा होती है।

कुलदेवी का वार्षिक उत्सव- हर वर्ष परिवार के सदस्य एक निश्चित तिथि को अपनी कुलदेवी का वार्षिक उत्सव मनाते हैं। यह तिथि प्राचीन परंपराओं और परिवार के इतिहास के आधार पर तय की जाती है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य एकत्रित होकर कुलदेवी की पूजा करते हैं और विशेष अनुष्ठान करते हैं।

पूजा का अन्य अवसर-  इसके अलावा कुलदेवी की पूजा किसी महत्वपूर्ण अवसर, जैसे किसी परिवार के सदस्य के जन्म, विवाह, या अन्य बड़े कार्यक्रम के दौरान भी की जा सकती है। इस समय पूजा का उद्देश्य देवी से आशीर्वाद प्राप्त करना और नए जीवन की शुरुआत करना होता है।

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Chant these mantras during worship पूजा के दौरान इन मंत्रों का करें जाप 

ॐ कुलदेवतायै नमः

ॐ कुलदैव्यै नमः

ॐ श्री कुलदेवतायै नमः

ॐ ह्रीं श्रीं कुलेश्वरी प्रसीद प्रसीद ऐं नमः

ॐ कुलदेवताय विद्महे दुर्गायै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात्

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते

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