Edited By Prachi Sharma,Updated: 17 Jan, 2025 11:50 AM
ग्रहों के राजा सूर्य देव जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति का नाम दिया जाता है। माघ महीने में आने वाली संक्रांति को कुम्भ संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
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Kumbh Sankranti 2025: ग्रहों के राजा सूर्य देव जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति का नाम दिया जाता है। माघ महीने में आने वाली संक्रांति को कुम्भ संक्रांति के नाम से जाना जाता है। माघ महीने की संक्रांति का महत्व इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह विशेष रूप से पुण्यकाल, स्नान और दान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी दिन से महाकुंभ के धार्मिक अनुष्ठान भी प्रारंभ होते हैं। आइए जानें माघ संक्रांति इसकी तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में।
कुंभ संक्रांति का महत्व:
कुंभ संक्रांति का पर्व हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है और यह विशेष रूप से पुण्य स्नान, दान, और पूजा के लिए मनाया जाता है। इसे माघ संक्रांति भी कहा जाता है और इस दिन के विशेष महत्व को विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से समझा जा सकता है।
ज्योतिष गणना के अनुसार ग्रहों के राजा सूर्य देव 12 फरवरी रात 9 बजकर 56 मिनट पर मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे।
कुंभ संक्रांति पर पुण्य काल मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से शाम 06 बजकर 09 मिनट तक
महापुण्य काल- शाम 04 बजकर 18 मिनट से शाम 06 बजकर 09 मिनट तक
महा पुण्य काल में पूजा-पाठ करने से दोगुना फल प्राप्त होता है। इस दिन दान-पुण्य करना बेहद लाभकारी होता है।
कुंभ संक्रांति पर बन रहे शुभ योग
ज्योतिष गणना के अनुसार इस दिन बहुत से शुभ योग बनने जा रहे हैं। सौभाग्य योग, शोभन योग, अश्लेषा और मघा नक्षत्र का भी निर्माण होने जा रहा है।
What to do on Kumbh Sankranti कुंभ संक्रांति पर क्या करें ?
इस दिन गंगा, यमुन या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसे स्नान का सबसे उपयुक्त समय सूर्योदय के बाद का माना जाता है।
माघ संक्रांति के दिन सूर्य देवता की पूजा करना बहुत फलदायी होता है। सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करें। इससे जीवन में समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।
माघ संक्रांति के दिन किसी गरीब या ब्राह्मण को दान देना अत्यधिक पुण्यकारी माना जाता है। आप चावल, तिल, फल, वस्त्र या धन का दान कर सकते हैं।
इस दिन व्रत और उपवास रखने से आत्मा शुद्ध होती है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह विशेष रूप से माघ महीने के पुण्यकाल के दौरान किया जाता है।