Edited By Prachi Sharma,Updated: 08 Feb, 2025 06:54 AM
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हिंदू धर्म में कुम्भ संक्रांति का पर्व बेहद खास होता है। इस दिन सूर्य देव कुंभ राशि में परिवर्तन करते हैं और कुंभ शनि की राशि है और शनि देव सूर्य देवता के पुत्र हैं। कुंभ संक्रांति पर पुत्र-पिता का मिलन होता है
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Kumbh Sankranti 2025: हिंदू धर्म में कुम्भ संक्रांति का पर्व बेहद खास होता है। इस दिन सूर्य देव कुंभ राशि में परिवर्तन करते हैं और कुंभ शनि की राशि है और शनि देव सूर्य देवता के पुत्र हैं। कुंभ संक्रांति पर पुत्र-पिता का मिलन होता है, इस वजह से इसे इतना खास माना जाता है। सूर्य और शनि का यह मिलन खासतौर पर उन व्यक्तियों के लिए शुभ है जो कठिन परिश्रम से जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं। इस समय में व्यक्ति को अपने प्रयासों को सही दिशा में लगाने का अवसर मिलता है। तो चलिए ज्यादा देर न करते हुए जानते हैं कि वर्ष 2025 में कब मनाई जाएगी कुम्भ संक्रांति।
कुंभ संक्रांति के दिन विशेष रूप से पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है। भारत में गंगा, यमुना, गोमती, सरस्वती जैसी नदियों में स्नान करने से समस्त पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है। कुंभ संक्रांति पर इन नदियों में स्नान करने से व्यक्ति का मानसिक और शारीरिक शुद्धिकरण होता है। यह दिन विशेष रूप से पुण्य की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और इससे व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है।
कुम्भ संक्रांति तिथि
पंचांग के अनुसार 12 फरवरी के दिन कुम्भ संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन दान-पुण्य करने से सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है।
कुंभ संक्रांति 2025 स्नान-दान मुहूर्त
कुम्भ संक्रांति पुण्य काल - दोपहर 12:35 - शाम 6:09
कुम्भ संक्रान्ति महा पुण्य काल - शाम 4:18 - शाम 06:09
कुंभ संक्रांति शुभ योग
ज्योतिष गणना के अनुसार कुम्भ संक्रांति के दिन सौभाग्य और शुभदायक योग का निर्माण बनने जा रहा है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा इस दिन अश्लेषा और मघा नक्षत्र का भी संयोग भी बन रहा है।
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Do puja in this way इस तरह करें पूजा
कुंभ संक्रांति के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर सूर्य को अर्घ्य देना बेहद शुभ माना जाता है। सूर्य को अर्घ्य देने से न केवल सूर्य की स्थिति मजबूत होती है बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।
शनि के प्रभाव से बचने के लिए शनि का सही पूजन और उसकी शांति के उपाय अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। इस दिन शनि देव के मंदिर जाकर उन्हें तेल का दीपक अर्पित करें।
कुंभ संक्रांति पर तिल और गुड़ का दान करने से सूर्य और शनि दोनों का प्रभाव मजबूत होता है। तिल और गुड़ दोनों सूर्य और शनि के शुभ ग्रहों के प्रतीक माने जाते हैं। इस दिन इनका दान करने से कड़ी मेहनत से प्राप्त होने वाले फल अच्छे होते हैं और जीवन में स्थिरता आती है।
सूर्य और शनि दोनों ग्रहों के मंत्रों का नियमित रूप से जाप करने से इन ग्रहों के अशुभ प्रभावों को समाप्त किया जा सकता है और शुभ प्रभावों को बढ़ावा मिलता है।
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