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Kumbhakarna Katha: क्यों 6 महीनों तक गहरी निंद्रा में रहते थे कुंभकर्ण, जानें इसके पीछे की कथा

Edited By Prachi Sharma,Updated: 04 Feb, 2025 01:49 PM

kumbhakarna katha

सबने अपने घरवालों से अपनी लाइफ में कई बार ये डायलॉग तो सुना ही होगा। उठ जा कुंभकर्ण और कितनी देर सोएगा। आमतौर पर जो लोग ज्यादा देर तक सोए रहते हैं उनको कुंभकर्ण बुलाया जाता है

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Kumbhakarna Katha: सबने अपने घरवालों से अपनी लाइफ में कई बार ये डायलॉग तो सुना ही होगा। उठ जा कुंभकर्ण और कितनी देर सोएगा। आमतौर पर जो लोग ज्यादा देर तक सोए रहते हैं उनको कुंभकर्ण बुलाया जाता है। इसके पीछे का कारण तो हर किसी को पता होगा कि कुंभकर्ण लंबे समय तक सोए रहते थे इसलिए जो लोग कहीं भी जगह देखकर सो जाते हैं..या फिर ज्यादा देर तक सोए रहते हैं। उन्हें कुंभकर्ण बुलाया जाता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कुंभकर्ण 6 महीनों तक क्यों सोए रहते थे। तो आइए जानते हैं कि आखिर क्यों लगातार 6 महीने गहरी निंद्रा में रहते थे कुंभकर्ण। 

PunjabKesari Kumbhakarna Katha
 
कुंभकर्ण जिसे ग्रंथों में रामायणकाल का प्रमुख पात्र बताया गया है। कुंभकर्ण रावण का छोटा भाई और ऋषि विशर्वा और राक्षसी कैकसी का पुत्र था। बचपन से ही बड़े कान होने के कारण इसका नाम कुंभकर्ण रखा गया था। जिसका मतलब है कुम्भ यानी घड़ा और कर्ण यानी कान। इनकी माता कैकसी राक्षस वंश की थी और पिता ब्राह्मण कुल के कुंभकर्ण में माता-पिता दोनों के गुण विद्यमान थे। कुंभकर्ण छः महीनो तक लगातार सोने के बाद फिर छः महीने तक खाते रहते थे। लाख कोशिशो के बाद बी उन्हें कोई उठा नहीं पाता था। उनकों ब्रह्मा जी ने इसे सचेत किया कि यदि कोई इसे बलपूर्वक उठाएगा तो वही दिन कुम्भकर्ण का अंतिम दिन होगा। लेकिन बहुत से लोग आज भी ये जानना चाहेंगे कि वह इतने दिन तक क्यों सोता था। 

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पौराणिक कथाओं के अनुसार कि रावण, कुंभकर्ण और विभीषण ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए कड़ी तपस्या की थी, जिसके बाद बह्मा जी ने कुंभकर्ण को निद्रासन यानी 6 महीने सोने का वरदान दिया था। ब्रह्मा द्वारा दिए गए इस वरदान के पीछे दो वजह बताई जाती हैं। रामायण में दिखाए गए एक किस्से के मुताबिक इंद्र कुंभकर्ण से ईर्ष्या करते थे। उन्हें डर था कि कुंभकर्ण ब्रह्माजी को प्रसन्न कर उनसे कोई ऐसा वरदान न मांग ले जो उनके और बाकी देवताओं के लिए परेशानी खड़ी कर दे इसलिए उन्होंने मनचाहा वरदान मांगने से पहले कुंभकर्ण की मति भ्रष्ट कर दी और कुंभकर्ण ने इंद्रासन के बजाए निद्रासन वरदान मांग लिया। दूसरी वजह में कुंभकर्ण का बहुत ज्यादा भोजन करना बताया जाता है। कहा जाता है कि सभी देवताओं और ब्रह्मा जी को लगता था कि अगर कुंभकर्ण इसी तरह भरपेट भोजन करता रहा तो बहुत जल्द दुनिया खत्म हो जाएगी। इसलिए देवताओं ने माता सरस्वती से प्रार्थना की जब कुम्भकर्ण वरदान मांगे तो वे उसकी जिव्हा पर बैठ जाएं। माता सरस्वती ने उनकी बात मान ली और जब कुंभकर्ण ब्रह्मा जी से वरदान मांगने लगे वो उसकी जिव्हा पर विराजमान हो गई। इसी कारण कुंभकर्ण ने इंद्रासन के बजाए निद्रासन का वरदान मांग लिया। ब्रह्मा जी ने उसकी ये इच्छा पूरी कर दी।

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