Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Jul, 2018 11:02 AM

सावन का महीना जहां शिव भक्ति और पूजन से जुड़ा है वहीं इस महीने में देवी पार्वती की भी विधिवत पूजा की जाती है। सावन माह के हर मंगलवार को देवी पार्वती का पूजन मंगला गौरी व्रत के तौर पर किया जाता है।
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सावन का महीना जहां शिव भक्ति और पूजन से जुड़ा है वहीं इस महीने में देवी पार्वती की भी विधिवत पूजा की जाती है। सावन माह के हर मंगलवार को देवी पार्वती का पूजन मंगला गौरी व्रत के तौर पर किया जाता है। मान्यता है कि अगर यह व्रत अविवाहित कन्याएं पूरे योग के साथ करती हैं तो शादी के उनके योग तेज होते हैं। साथ ही भावी पति की उम्र बढऩे के साथ तरक्की भी होती है। वहीं विवाहित औरतें इस व्रत को पति की लंबी उम्र व सेहत के लिए रखती हैं।

इस व्रत को रखने के लिए सावन के हर मंगलवार को सुबह जल्दी उठ कर नए कपड़े पहन कर मां मंगला गौरी यानी देवी पार्वती के चित्र या मूर्ति की विधिवत पूजा करनी चाहिए। चौकी पर सफेद या लाल साफ कपड़े पर इसे रखकर पूजन विधि सम्पन्न करें। मंगला गौरी पूजा में 16 की संख्या का बहुत महत्व है। इसलिए पूजा में जहां दीपक 16 बत्तियों वाला जलाना चाहिए तो वहीं मां को 16 चीजों का भोग लगाना चाहिए। साथ ही सुहाग की निशानी के लिए 16 चूडिय़ां भी चढ़ानी चाहिएं। पूजन की यह सामग्री बाद में किसी सुहागिन को दान की जा सकती है।

मंगला गौरी व्रत खासतौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और बिहार में प्रचलित है। हालांकि देश के अन्य हिस्सों में भी इसे मनाया जाता है लेकिन वह तारीख इन राज्यों से अलग रहती है।

इस दिन व्रत रख कर श्रावण माहात्म्य, शिव महापुराण तथा शिवस्तोत्रों का पाठ करना चाहिए। पाठ के बाद शिवलिंग पर दूध, गंगा जल, बिल्व पत्र, फलादि सहित शिवलिंग का पूजन करना चाहिए। ‘ओम् नम: शिवाय’ की माला का जाप करें।

जिन कन्याओं का विवाह लंबित है या विवाहोपरांत समस्याएं हैं। उन्हें यह व्रत रखना लाभदायक रहता है। अन्य महिलाएं संतान व पति सुख के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन गौरी जी की पूजा करनी चाहिए। गणेश जी की पूजा-अर्चना के बाद गौरी जी की मूर्ति पर चंदन, सिंदूर, हल्दी,चावल, मेहंदी, काजल, पुष्प चढ़ाएं। इसके अलावा 16 की संख्या में माला, आटे के लड्डू, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, सुहाग सामग्री अर्पित करें। इसके बाद गौरी माता की कथा सुनें।

कन्या मंत्र पढ़े
ओम् हीं मन वांछित वरम देहि वरम देहि हिरीम ओम गौरा पार्वती नम:!
ओम देहि सौभाग्यम, आरोगयम् देहि मम परम सुखम,
रुपम देहि जयम देहि यशो देहि दिशो जहि!!
एक बार यह व्रत प्रारंभ करने के पश्चात इस व्रत को लगातार 5 वर्षों तक किया जाता है। तत्पश्चात इस व्रत का विधि-विधान से उद्यापन कर देना चाहिए। एक अन्य खगोलीय घटना भी साथ साथ हो रही है। 31 जुलाई, मंगलवार को मंगल ग्रह 15 सालों में पहली बार धरती के सबसे निकट होगा। इससे पूर्व 2003 में मंगल पृथ्वी के काफी निकट था और अब 2020 में भी यह हमारे काफी निकट होगा।
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