कच्छपावतार : पढ़ें, भगवान विष्णु के कच्छप बनने की रोचक कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Jan, 2022 08:23 AM

kurma avatar story

पुराने समय की बात है। देवताओं और राक्षसों में आपसी मतभेद के कारण शत्रुता अत्यंत बढ़ गई थी, जिस कारण आए दिन दोनों पक्षों में लड़ाई होती रहती थी। एक दिन राक्षसों के आक्रमण से भयभीत होकर

Kurma avatar story: पुराने समय की बात है। देवताओं और राक्षसों में आपसी मतभेद के कारण शत्रुता अत्यंत बढ़ गई थी, जिस कारण आए दिन दोनों पक्षों में लड़ाई होती रहती थी। एक दिन राक्षसों के आक्रमण से भयभीत होकर सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी के पास पहुंच कर उन्हें अपनी विपदा सुनाई।

PunjabKesari Kurma avatar story
फिर ब्रह्मा जी की राय से वे सब जगदगुरु की शरण में जाकर प्रार्थना करने लगे। देवताओं की प्रार्थना से प्रसन्न होकर श्री भगवान ने कहा, ‘‘देवताओ! तुम लोग दानव राज बलि से प्रेमपूर्वक मिलो। उनको ही अपना नेता मानकर समुद्र-मथने की तैयारी करो। समुद्र-मंथन के अंत में अमृत निकलेगा उसे पीकर तुम लोग अमर हो जाओगे।’’ यह कह कर श्री भगवान अंर्तध्यान हो गए।

इसके बाद देवताओं ने दानव राज बलि को अपना नेता मानकर, वासुकि नाग को रस्सी और मन्दराचल पर्वत को मथानी बनाकर समुद्र-मंथन शुरू किया परन्तु जैसे ही मंथन शुरू हुआ तो मंदराचल ही समुद्र में डूबने लगा जिस पर सभी परेशान हो गए।

अंत में निराश होकर सब देवताओं ने भगवान का सहारा लिया। भगवान तो सब जानते ही थे। उन्होंने हंस कर कहा, ‘‘सब कार्यों के प्रारंभ में गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। उनकी पूजा के बिना कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता।’’

PunjabKesari Kurma avatar story
यह सुनकर देवता गणेश जी की पूजा करने लगे। उधर गणेश जी की पूजा हो रही थी और इधर लीलाधारी भगवान ने कच्छप रूप धारण कर मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर उठा लिया।

तत्पश्चात समुद्र-मंथन शुरू हुआ, मथते-मथते बहुत देर हो जाने पर भी जब अमृत न निकला तब भगवान ने सहस्त्रबाहु होकर स्वयं ही दोनों ओर से मथना प्रारंभ किया। इसके बाद उसी समय हलाहल विष निकला जिसे पीकर भगवान शिव नीलकंठ कहलाए।

इसी प्रकार कामधेनु, उच्चै:श्रवा नामक घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, अप्सराएं, भगवती लक्ष्मी, वारूणी धनुष, चंद्रमा, शंख, धन्वन्तरि और अंत में अमृत निकला।

अब अमृत प्राप्त करने के लिए देवता और दानव दोनों आपस में झगड़ने लगे। तब श्री भगवान ने अपनी लीला से अमृत देवताओं को ही दिया। अमृत पीकर देवता अमर हो गए और दानवों के विरुद्ध युद्ध में विजयी हुए। विजयी देवता अब बार-बार कच्छप भगवान की स्तुति करने लगे।

PunjabKesari Kurma avatar story
उनकी स्तुति से प्रसन्न होकर श्री भगवान ने कहा, ‘‘भगवान के आश्रित होकर कर्म करने वाले ही देवता कहलाते हैं। उन्हें ही सच्ची सुख-शांति और अमृत्व की प्राप्ति होती है, किंतु जो अभिमान के वशीभूत होकर कर्म करते हैं, उन्हें कभी भी अमृत की प्राप्ति नहीं हो सकती।’’

इतना कह कर भगवान कच्छप अंर्तध्यान हो गए।

PunjabKesari Kurma avatar story

Related Story

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!