Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Apr, 2024 11:46 AM
पंचांग के अनुसार लक्ष्मी पंचमी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति माता लक्ष्मी की
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Lakshmi Panchami 2024: पंचांग के अनुसार लक्ष्मी पंचमी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा-पाठ करता है। उसे आर्थिक तंगी से छुटकारा मिल सकता है और सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है। इस बार साल 2024 में ये पर्व 12 अप्रैल दिन शुक्रवार को है। चूंकि शुक्रवार मां लक्ष्मी का दिन माना जाता। ऐसे में इस व्रत का शुक्रवार के दिन आना बेहद शुभ माना जाता रहा है। इसके अलावा इस दिन मां कुष्मांडा का पूजन भी किया जा रहा है। यह व्रत मां लक्ष्मी को प्रसन्न करके मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इस व्रत के प्रभाव से माता लक्ष्मी के आशीर्वाद से दरिद्रता दूर हो जाती है और व्यक्ति आर्थिक संपन्नता प्राप्त करता है। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री लक्ष्मी पंचमी व्रत की पूजा विधि, व्रत कथा और इस व्रत को करने के ढेरों फायदे, तो आईए जानते हैं-
सबसे पहले आपको बता दें, लक्ष्मी पंचमी के दिन चार शुभ मुहूर्तों में पूजा व उपाय करना बेहद लाभकारी माना जाता है।
इस दिन अभिजीत मुहूर्त रहेगा सुबह 11 बजकर 56 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है।
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 21 मिनट तक है।
लाभ मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 06 मिनट तक है।
अमृत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 06 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजे तक है।
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Shri Lakshmi worship method श्री लक्ष्मी पूजन विधि
श्री लक्ष्मी पंचमी व्रत करने वाले साधक इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर पवित्र नदियों का जल डालकर स्नान करें। शुद्ध स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अपने पूजा स्थान को भी साफ कर लें। एक चौकी पर लाल रेशमी वस्त्र बिछाएं। अब मां लक्ष्मी की मूर्ति को पंचामृत से स्नान करवाकर चौकी पर स्थापित करें। मूर्ति न हो तो फोटो रखें। अब चंदन, पुष्प, अक्षत, दूर्वा, लाल कमल पुष्प, सूत, सुपारी, श्रीफल, पांच प्रकार के फल, गन्ना, मिष्ठान आदि पूजा में अर्पित करें। इतनी सब सामग्री लाने की आपकी सामर्थ्य न हो तो मां लक्ष्मी का पूजन करके उन्हें मिश्री का नैवेद्य लगाएं। इसके बाद वहीं बैठकर श्री सूक्त के 11 पाठ करें। शुद्ध घी के दीपक से आरती करें। ध्यान रहे पूजन के समय सुगंधित धूप लगाकर रखें। दिन भर व्रत रखें, अन्न ग्रहण न करें। यदि आवश्यक हो तो फल और दूध ग्रहण कर सकते हैं। दूसरे दिन प्रातःकाल ब्राह्मणों को भोजन करवाकर स्वयं व्रत खोलें। व्रत के प्रभाव से दरिद्रता दूर होती है और अष्ट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
लक्ष्मी पंचमी व्रत के दिन व्रती को मां लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए श्री सूक्त, ललिता सहस्त्रनाम, कनकधारा स्तोत्र, लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। ललिता पंचमी के दिन की गई लक्ष्मी साधना स्थायी फल देने वाली होती है। इस दिन की गई आराधना कभी निष्फल नहीं होती।
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Fast story of Shri Lakshmi Panchami श्री लक्ष्मी पंचमी की व्रत कथा
एक बार मां लक्ष्मी देवताओं से रूठ गई और क्षीर सागर में जा मिली। मां लक्ष्मी के चले जाने से समस्त देवता श्री विहीन हो गए। तब देवराज इंद्र ने माता को पुन: प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की और व विशेष विधि-विधान से उनके लिए व्रत रखा। उनका अनुसरण करते हुए अन्य देवताओं ने भी मां लक्ष्मी का उपवास रखा, देवताओं की तरह असुरों ने भी लक्ष्मी जी की उपासना की इस पूजा से देवी अत्यधिक प्रसन्न हुई और अपने भक्तों की पुकार सुनी। व्रत समाप्ति के पश्चात माता पुन: उत्पन्न हुई और उनका विवाह श्री हरि विष्णु के साथ सम्पन्न हुआ। देवता फिर से माता की कृपा पाकर धन्य हुए। ऐसा मानना है कि यह तिथि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी। यही कारण था कि इस तिथि को लक्ष्मी पंचमी के व्रत के रूप में मनाया जाने लगा।
Benefits of Shri Panchami fast श्री पंचमी व्रत से लाभ
कहते हैं अगर विधिपूर्वक श्री पंचमी के दिन व्रत और पूजा की जाए तो लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर अवश्य ही कृपा करती हैं। साथ ही व्रती अपने 21 कुलों के साथ लक्ष्मी लोक में निवास करता है। इसके अलावा स्त्रियों को यह व्रत सौभाग्य, संतान और धन की प्राप्ति करता है। धन की परेशानी ही नहीं बल्कि माता अन्य दुःख और समस्याओं को भी दूर करती हैं। अगर आपको अपने व्यवसाय में या फिर अपनी नौकरी में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो यह व्रत करने से माता आपकी इच्छा जरूर पूरी करेंगी।