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Lalita Saptami: कल करें ललिता देवी का पूजन, मिलेगा श्री राधा कृष्ण का आशीर्वाद

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Sep, 2023 10:53 AM

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राधा रानी और श्री कृष्ण के भक्त उनको खुश करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। राधा-कृष्ण को प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

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Lalita Saptami: राधा रानी और श्री कृष्ण के भक्त उनको खुश करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। राधा-कृष्ण को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। ब्रज की धरती, गगन और पेड़-पौधे सब उनके प्रेम के साक्षी रही हैं। जब-जब श्री कृष्ण बांसुरी बजाते थे तब-तब राधा रानी के साथ उनकी सखियां भी मोहित हो जाती थी। यशोदा के लाल राधा रानी की गोपियों को प्रेम से सखी कहते थे। वृषभानु दुलारी की अष्ट सखियां थी और उनमें से सबसे प्रिय थी श्री ललिता सखी। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने जा रहे हैं, राधा रानी की प्रिय सखी ललिता के जन्म के बारे में। सखी ललिता का जन्म भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को हुआ था। इस दिन ललिता देवी की पूजा की जाती है। यह पर्व हर वर्ष राधा अष्टमी से एक दिन पहले मनाया जाता है। वर्ष 2023 में 23  सितंबर को राधा अष्टमी है, 22 सितंबर यानी आज यह पर्व मनाया जाएगा। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं ललिता सखी के बारे में।

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Who is Devi Lalita कौन है देवी ललिता
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार वैसे तो अष्ट सखियां राधा रानी और श्री कृष्ण की प्रधान सखियां थी लेकिन श्री ललिता उनमे से सबसे खास थी। उनकी निस्वार्थ भक्ति और प्रेम देखकर श्री कृष्ण ने उनको यह आशीर्वाद दिया था कि वह राधा-कृष्ण की अनन्य भक्त के रूप में पूजनीय होंगी। श्री ललिता की खासियत का अंदाजा मथुरा में स्थित उनके मंदिर को देख कर लगाया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से इनकी पूजा करता है, राधा रानी और श्री कृष्ण उनसे हमेशा प्रसन्न रहते हैं।

lalita saptami ka shubh muhurat  ललिता सप्तमी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 21 सितंबर दोपहर 2 बजे होगी और 22 सितंबर दोपहर 1 बजे इसका समापन होगा।
ब्रह्म मुहूर्त: 4:35-5:22
अभिजीत मुहूर्त: 11:49-12:38
गोधूलि मुहूर्त:18:18-18:42
अमृत काल: 6:47-8:23

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Importance of Lalita Saptami ललिता सप्तमी का महत्व
ललिता सप्तमी के दिन पूजा-पाठ करने से जो लोग संतान सुख से वंचित हैं, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। इसी के साथ इस व्रत के प्रभाव से संतान के जीवन पर अगर कोई संकट का बादल छाया हुआ है तो वो भी दूर हो जाता है। पूजा के साथ-साथ कुछ लोग तो इस दिन व्रत भी रखते हैं।

यूं तो साल भर भक्त गण ललिता देवी का पूजन करते हैं लेकिन ललिता सप्तमी के दिन पूजन का विशेष लाभ मिलता है। ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन देवी ललिता का पूरे विधि-विधान से पूजन किया जाए तो संतान प्राप्ति के योग बनते हैं। वहीं व्यक्ति को अपने जीवन के संकटों से भी छुटकारा मिलता है। इस खास दिन भक्तगण न केवल देवी ललिता का पूजन करते हैं, बल्कि व्रत भी रखते हैं।

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