Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Apr, 2020 07:18 AM
![laxmi kuber mantra](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2020_4image_07_13_016958020mantramain-ll.jpg)
धन की देवी लक्ष्मी जो धन देती हैं, उसके साथ मंगल का भाव जुड़ा होता है। धन के देवता कुबेर के साथ लोक कल्याण का भाव प्रत्यक्ष नहीं है। लक्ष्मी चंचला हैं, वे कभी एक स्थान पर नहीं रहती। आज किसी एक के पास हैं तो
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
धन की देवी लक्ष्मी जो धन देती हैं, उसके साथ मंगल का भाव जुड़ा होता है। धन के देवता कुबेर के साथ लोक कल्याण का भाव प्रत्यक्ष नहीं है। लक्ष्मी चंचला हैं, वे कभी एक स्थान पर नहीं रहती। आज किसी एक के पास हैं तो कल दूसरे के घर की शोभा बढ़ाती हैं। कुबेर देव के द्वारा दिया गया धन खजाने के तौर पर पड़ा रहता है। कुबेर देव देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं, जब उनकी कृपा होती है तो धन प्राप्ति के योग बनने लगते हैं। कुबेर देव को प्रसन्न करना है तो निम्न मंत्र का नियमित जाप आर्थिक संपन्नता देता है- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये धन-धान्यं स्मृद्धि देहि दापय दापय स्वाहा।
जाप करते हुए बेसन के लड्डू या केसर की बर्फी का भोग लगाना चाहिए तथा थोड़ा गंगाजल जाप करते हुए पास में रखें। जाप पूरा होने के बाद (कम से कम 108 बार 1 माला) गंगाजल व्यापार स्थल की दीवार पर छिड़क दें तथा मिठाई बच्चों में बांट दें। व्यापारी लोगों को विशेष लाभ देने वाली साधना है।
![PunjabKesari laxmi kuber](https://static.punjabkesari.in/multimedia/07_15_445920462laxmi-kuber-mantra2.jpg)
इस लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ नित्य करना चाहिए। इससे लक्ष्मी प्राप्ति होती है और ऋण मुक्ति होती है।
त्रैलोक्य पूजिते देवि कमले विष्णु वल्लभे।
यथा त्वमचला कृष्णे तथा भव मयि स्थिरां॥
कमला चंचला लक्ष्मीश्चला भूति हरिप्रिया।
पद्मा पद्मालया सम्पद रमा श्री पद्मधारिणी॥
द्वादशैतानि नामनि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत्
स्थिरा लक्ष्मी भवेत् तस्य पुत्रादिभि: सह॥
![PunjabKesari laxmi kuber mantra](https://static.punjabkesari.in/multimedia/07_18_094389747laxmi.jpg)