Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Nov, 2023 07:29 AM
प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर के आंगन में प्राय: तुलसी का पौधा लगा होता है। यह हिंदू परिवार की एक विशेष पहचान है। स्त्रियां इसके पूजन के द्वारा अपने
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Learn About The Benefits Of The Tulsi Plant: प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर के आंगन में प्राय: तुलसी का पौधा लगा होता है। यह हिंदू परिवार की एक विशेष पहचान है। स्त्रियां इसके पूजन के द्वारा अपने सौभाग्य एवं वंश की समृद्धि की रक्षा करती हैं। रामभक्त हनुमान जी जब सीता की खोज करने लंका गए तो उन्हें एक घर के आंगन में तुलसी का वृक्ष दिखलाई दिया।
‘‘रामायुध अंकित गृह, शोभा बरनि न जाय। नव तुलसि का वृन्द तंह, देखि हरष कपिराय।’’
अर्थात अति प्राचीन परम्परा से तुलसी का पूजन सद्गृहस्थ परिवार में होता आया है। जिसके संतान नहीं होती, वे तुलसी-विवाह भी कराते हैं। तुलसी पत्र चढ़ाए बिना शालिग्राम का पूजन नहीं होता। विष्णु भगवान को चढ़ाए श्राद्ध भोजन में, देवप्रसाद, चरणामृत, पंचामृत में तुलसीपत्र होना आवश्यक है अन्यथा वह प्रसाद भोग देवताओं को नहीं चढ़ता। मरते हुए प्राणी के अंतिम समय में गंगाजल व तुलसी पत्र दिया जाता है। तुलसी जितनी धार्मिक मान्यता किसी भी वृक्ष को नहीं है।
इन सभी धार्मिक मान्यताओं के पीछे एक वैज्ञानिक रहस्य छिपा हुआ है। तुलसी वृक्ष एक दिव्य औषधि वृक्ष है तथा कस्तूरी की तरह एक बार मृत प्राणी को जीवित करने की क्षमता रखता है। तुलसी के माध्यम से कैंसर जैसी असाध्य बीमारी भी ठीक हो जाती है।
आयुर्वेद के ग्रंथों में तुलसी की बड़ी महिमा वर्णित है। इसके पत्ते उबाल कर पीने से सामान्य ज्वर, जुकाम, खांसी एवं मलेरिया में तत्काल राहत मिलती है। तुलसी के पत्तों को संक्रामक रोगों से रोकने की अद्भुत शक्ति है। प्रसाद पर इसको रखने से प्रसाद विकृत नहीं होता। पंचामृत व चरणामृत में इसको डालने से बहुत देर रखा गया जल व पंचामृत खराब नहीं होते, उसमें कीड़े नहीं पड़ते।
तुलसी की मंजरियों में एक विशेष खुशबू होती है, जिससे विषधर सांप उसके निकट नहीं आते। यदि रजस्वला स्त्री इस पौधे के पास से गुजर जाए तो वह फौरन म्लान हो जाता है। इसके अनेक औषधीय गुणों के कारण ही, इसकी पूजा की जाती है।
‘रणवीर भक्ति रत्नाकर’ ग्रंथ के अनुसार तुलसी की गंध से सुवासित वायु जहां तक घूमती है, वहां तक दिशा और विदिशाओं को पवित्र करती है और उद्भिज, श्वेदज, अंड तथा जरायु-चारों प्रकार के प्राणियों को प्राणवान करती है। ‘क्रियायोगसार’ नामक एक अन्य ग्रंथ के अनुसार-तुलसी के स्पर्श मात्र से मलेरिया इत्यादि रोगों के कीटाणु एवं विविध व्याधियां तुरन्त नष्ट हो जाती हैं।
मां लक्ष्मी को अपने घर आने का खुला निमंत्रण देने का सबसे सरल उपाय है, घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाना। तुलसी का पौधा घर की सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाने के लिए काफी शुभ माना जाता है। यह एक अद्भुत औषधिय पौधा है, जो घर में आने वाली हर तरह की नेगेटिविटी को दूर करता है।
जो व्यक्ति सुबह उठकर सबसे पहले तुलसी का दर्शन करता है, उसे सभी तीर्थों के समान फल प्राप्त होता है। मां लक्ष्मी का भरपूर आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए तुलसी की 3 परिक्रमा सुबह और शाम के समय करनी चाहिए। परिक्रमा करते समय इस मंत्र का जाप करें "महाप्रसाद जननी,सर्व सौभाग्यवर्धिनी आधि व्याधि हरा नित्यं,तुलसी त्वं नमोस्तुते"
सुबह स्नान के बाद सूर्य को भी अर्घ दें, फिर तुलसी में जल चढ़ाकर ही परिक्रमा करनी चाहिए। तुलसी को सिंदूर लगाएं और चमेली एवं वैजयंती फूल अर्पित करने के बाद धूप, अगरबत्ती और तिल के तेल कै दीपक जलाएं। ऐसा करने से परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। मन को शांति और प्रसन्नता प्राप्त होती है। दुःख-दरिद्रता कोसों दूर रहती है।
ठाकुर जी कोई भी भोग तुलसी पत्ते के बिना स्वीकार नहीं करते। अत: तुलसी तोड़ते समय इस मंत्र का जाप करें ॐ सुभद्राय नम:, मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी,नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते।।