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लिव इन रिलेशनशिप न्यूक्लियर फैमिली का नतीजा : आर.पी. तिवारी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 25 Nov, 2023 08:55 AM

live in relationship

लिव इन रिलेशनशिप न्यूक्लियर फैमिली (एकल परिवार) का परिणाम है। ऐसे परिवार में बच्चों को घर के अन्य सदस्यों का प्यार नहीं मिल पाता और वह उन रिश्तों से जुड़ नहीं पाते हैं। इससे बच्चों में संस्कार विकसित

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चंडीगढ़ (रश्मि हंस): लिव इन रिलेशनशिप न्यूक्लियर फैमिली (एकल परिवार) का परिणाम है। ऐसे परिवार में बच्चों को घर के अन्य सदस्यों का प्यार नहीं मिल पाता और वह उन रिश्तों से जुड़ नहीं पाते हैं। इससे बच्चों में संस्कार विकसित नहीं हो पा रहे है, जिस कारण बच्चे लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे हैं।

यह कहना है सैंट्रल यूनिवर्सिटी बठिंडा के वाइस चांस्लर डा. आर.पी. तिवारी का। वह पंजाब यूनिवर्सिटी (पी.यू.) और अखिल भारतीय प्रौद्योगिकी शिक्षा परिषद (ए.आई.सी.टी.ई.) द्वारा संयुक्त रूप से सार्वभौम मानव मूल्य नेतृत्व विकास कार्यक्रम (यू.एच.वी-एल.डी.पी.), आई.सी.एस.एस.आर. नॉर्थ वैस्टर्न रीजनल सैंटर कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आए थे।

उन्होंने कहा कि बच्चों को 16 संस्कारों के बारे में जानकारी ही नहीं है। सबसे पहले दोबारा से ज्वाइंट फैमिली (संयुक्त परिवार) में रहना शुरू करना होगा, जिससे पूरे परिवार की उन पर नजर बनी रहे। अब बच्चों का प्रकृति के साथ लगाव खत्म हो गया है। स्वयं का विकास होगा तो समाज का विकास होगा। अब जीवन के मूल्यों का क्षरण हो चुका है। हर क्षेत्र में ही नीतियों में गिरावट आई है। एक छोटा बच्चे का व्यक्तित्व विकास 7 से 10 वर्ष की उम्र तक हो जाता है। यह ऐसा समय है जब उसमें वैल्यु का विकास हो सकता है। 

उन्होंने कहा कि युवाओं को भारतीय परंपराओं से विकसित करवाना होगा। वेद, श्री गुरू ग्रंथ साहिब, सरदार भगत सिंह के बारे में बच्चों को पढ़ाया जाना जरूरी है, जिससे उनका विकास हो सके। ए.आई.सी.टी.ई. लॉन्च करेगा ह्युमन वैल्यू कोर्स : ए.आई.सी.टी.ई. -यू.एच.वी. के चेयरपर्सन प्रो. रजनीश अरोड़ा स्टूडैंट को ह्यूमन वैल्यू सीखना बेहद जरूरी है। 

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