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Lohri: समय के साथ बदल रहे हैं लोहड़ी से जुड़े रस्मों-रिवाज

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Jan, 2025 09:27 AM

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Happy Lohri 2025: पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति अपना एक अलग स्थान रखती है क्योंकि इसमें अनेक रीति-रिवाज व परम्पराएं समाई हैं, जो लोगों को करीब लाकर एकसूत्र में बांधती हैं। त्यौहारों की इस शृंखला में माघ महीने की संक्रांति से एक दिन पहले आता है...

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Happy Lohri 2025: पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति अपना एक अलग स्थान रखती है क्योंकि इसमें अनेक रीति-रिवाज व परम्पराएं समाई हैं, जो लोगों को करीब लाकर एकसूत्र में बांधती हैं। त्यौहारों की इस शृंखला में माघ महीने की संक्रांति से एक दिन पहले आता है लोहड़ी का पर्व। लोहड़ी हर्ष और उल्लास का पर्व है। इसका संबंध मौसम के साथ गहरा जुड़ा है। पौष माह की कड़ाके की सर्दी से बचने के लिए भाईचारक सांझ और अग्नि की तपिश का सुकून लेने के लिए लोहड़ी मनाई जाती है।
 
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Lohri Kya hai aur kyo Manai Jati ha: लोहड़ी रिश्तों की मधुरता, सुकून और प्रेम का प्रतीक है। दुखों का नाश, प्यार और भाईचारे से मिल जुलकर नफरत के बीज का नाश करने का नाम है लोहड़ी। यह पवित्र अग्नि का त्यौहार मानवता को सीधा रास्ता दिखाने और रुठों को मनाने का जरिया बनता रहेगा। लोहड़ी शब्द तिल+रोड़ी के मेल से बना है जो समय के साथ बदल कर तिलोड़ी और बाद में लोहड़ी हो गया। लोहड़ी मुख्यत: तीन शब्दों को जोड़ कर बना है ल (लकड़ी) ओह (सूखे उपले) और डी (रेवड़ी)।
 
lohri festival in India: लोहड़ी के पर्व की दस्तक के साथ ही पहले ‘सुंदर मुंदरिए’ दे माई लोहड़ी जीवे तेरी जोड़ी आदि लोक गीत गाकर घर-घर लोहड़ी मांगने का रिवाज था। समय बदलने के साथ कई पुरानी रस्मों का आधुनिकीकरण हो गया है। लोहड़ी पर भी इसका प्रभाव पड़ा। अब गांव में लड़के-लड़कियां लोहड़ी मांगते हुए ‘परम्परागत गीत’ गाते दिखलाई नहीं देते। गीतों का स्थान ‘डीजे’ ने ले लिया।
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Traditions of Lohri: लोहड़ी की रात को गन्ने के रस की खीर बनाई जाती है और अगले दिन माघी के दिन खाई जाती है जिसके लिए पौह रिद्धी माघ खाघी गई कहा जाता है। ऐसा करना शुभ माना जाता है। यह त्यौहार छोटे बच्चों एवं नव विवाहितों के लिए विशेष महत्व रखता है। लोहड़ी की संध्या में जलती लकड़ियों के सामने नवविवाहित जोड़े अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाए रखने की कामना करते हैं।
 
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How To Celebrate Lohri: लोहड़ी का संबंध नए जन्मे बच्चों के साथ ज्यादा है पुराने समय से ही यह रीत चली आई है कि जिस घर में लड़का जन्म लेता है उस घर में धूमधाम से लोहड़ी मनाई जाती है। लोहड़ी से कुछ दिन पहले गुड़ बांटा जाता है और लोहड़ी की रात सभी गांव वाले लड़के वाले घर आते हैं और लकड़ियां, उपले आदि से अग्नि जलाई जाती है। सभी को गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, तिल घानी बांटे जाते हैं। आजकल लोग कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए लड़कियों के जन्म पर भी लोहड़ी मनाते हैं ताकि रुढ़िवादी लोगों में लड़के-लड़की का अंतर खत्म किया जा सके। लोहड़ी की पवित्र आग में तिल डालने के बाद बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया जाता है।
 
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