Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Jan, 2025 08:54 AM
Lohri Festival 2025: पौष महीने के अंतिम दिन सूर्यास्त के बाद माघ महीने की पहली रात को मनाया जाने वाला त्यौहार अपने साथ ढेर सारी रौनक व खुशियां लेकर आता है। लोहड़ी से अभिप्राय है-पौष, माघ की कड़कड़ाती ठंड से बचने के लिए आग जला कर तापना व गर्मी देने...
Lohri Festival 2025: पौष महीने के अंतिम दिन सूर्यास्त के बाद माघ महीने की पहली रात को मनाया जाने वाला त्यौहार अपने साथ ढेर सारी रौनक व खुशियां लेकर आता है। लोहड़ी से अभिप्राय है-पौष, माघ की कड़कड़ाती ठंड से बचने के लिए आग जला कर तापना व गर्मी देने वाले खाद्यों का सेवन करते हुए आनंद मनाना। लोहड़ी शब्द तीन अक्षरों के मेल से बना है-लोहड़ी (ल-लकड़ी, ओह-सूखे उपले, ड़ी-रेवड़ी)। इस पर्व के आने से सप्ताह भर पहले ही गली-मोहल्लों में बच्चे पारंपरिक गीत गाते हुए हर घर से लोहड़ी मांगते हैं। लोग भी हंसी-खुशी बच्चों को रेवड़ियां, मूंगफली, मक्की के दाने व पैसों के रूप में लोहड़ी देते हैं। जिन घरों में बेटे या बेटी के पैदा होने की पहली लोहड़ी होती है या शादी के बाद पहली लोहड़ी होती है, वहां लोहड़ी बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है।
लोहड़ी को लाल लाही, लोहिता व खिचड़वार नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मतानुसार इस दिन कंस ने कृष्ण को मारने हेतु लोहिता राक्षसी को गोकुल में भेजा था, जिसे श्रीकृष्ण ने मार डाला था। इसी कारण लोहिता पर्व मनाया जाता है। सिन्धी समाज भी इसे लाल लाही पर्व के रूप में मनाया जाता है। लोहड़ी का पर्व मूलतः आद्यशक्ति, श्रीकृष्ण व अग्निदेव के पूजन का पर्व है। लोहड़ी पर अग्नि व महादेवी के पूजन से दुर्भाग्य दूर होता है, पारिवारिक क्लेश समाप्त होता है तथा सौभाग्य प्राप्त होता है।
The first Lohri is still special पहली लोहड़ी आज भी खास
पंजाब में आज भी जिस घर में नई शादी या बच्चा हुआ हो उन्हें विशेष तौर पर रिश्तेदारों, दोस्तों एवं पड़ोसियों द्वारा बधाई दी जाती है। आज भी नव वधू और बच्चे की पहली लोहड़ी बेहद धूमधाम से मनाई जाती है।
Lohri Gifts for Daughters लोहड़ी पर बेटियों को उपहार
लोहड़ी की लौ अर्थात अग्नि दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के योगाग्नि-दहन की याद में जलाई जाती है। यज्ञ पर अपने जामाता महादेव का भाग न निकालने के दक्ष प्रजापति के प्रायश्चित्त के रूप में इस अवसर पर परिजन अपनी विवाहिता पुत्रियों के घर वस्त्र, मिठाई, रेवड़ी, फलादि भेजते हैं। तभी से लोहड़ी के मौके पर नवविवाहित बेटी के मायके से उसकी मां कपड़े, मिठाइयां, गच्चक एवं रेवड़ी के अलावा अनेक तरह के उपहार अपनी बेटी के लिए उसके ससुराल में भेजती है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इसी प्रकार पहले बच्चे के जन्म पर भी उसके ननिहाल से बच्चे एवं पूरे परिवार के लिए कपड़े, मिठाई, गच्चक, रेवड़ी एवं बच्चे के लिए अनेक उपहार भेजे जाते हैं।